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fake cancer medicine: कैंसर की नकली दवाइयां बेचने वाले 7 आरोपी गिरफ्तार, ये हैं दवाइयों के नाम

Written By: गली न्यूज

Published On: Thursday November 17, 2022

fake cancer medicine: कैंसर की नकली दवाइयां बेचने वाले 7 आरोपी गिरफ्तार, ये हैं दवाइयों के नाम

fake cancer medicine: बाजार अब नकली दवाओं का हब बन चुका है. हालत यह है कि नकली दवा (Fake medicine) के मामले में गिरफ्तारी होने के बाद भी कई ऐसे लोग हैं जो फिर से नकली दवा का धंधा चला रहे है. आपको बता दें कि, हाल ही में दिल्ली पुलिस ने कैंसर की नकली दवा बनाने वाले एक गिरोह का खुलासा किया है. पुलिस ने हरियाणा के सोनीपत में एक फैक्ट्री और गाजियाबाद में एक गोदाम का भंडाफोड़ किया. इस दौरान पुलिस ने 8 करोड़ रुपये की नकली ड्रग्स भी बरामद की है.

दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को कैंसर की नकली दवा बनाने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है. इस गैंग में शामिल दो इंजीनियर, एक डॉक्टर और एक एमबीए को गिरफ्तार किया गया है. इंटरनेशनल नकली दवा बनाने और बिक्री रैकेट में शामिल कुल 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पिछले 2-3 साल से चल रहे रैकेट में शामिल तीन लोग फरार हैं.

पुलिस को पता चला था कि इस गैंग का बड़ा गोदाम गाजियाबाद के ट्रोनिका सिटी में है. यहां कैंसर की दवाओं को पैक किया जाता था. इसके बाद पुलिस को जानकारी मिली कि डॉ. पवित्र प्रधान और शुभम मन्ना नोएडा के सेक्टर 43 में एक फ्लैट में रह रहे हैं और वहां से धंधा चला रहे हैं. इसके साथ ही ये आरोपी देशभर में दवाओं की डिलीवरी के लिए ‘वी फास्ट’ कूरियर बुक करते थे.

इस गैंग के सदस्यों की आवाजाही पर नज़र रखने के लिए अलग-अलग टीमों का गठन किया गया था. इस टीम ने पंकज सिंह बोहरा नाम के शख्स को पकड़ा, जिसने गाजियाबाद स्थित गोदाम के बारे में जानकारी दी. इसके बाद दूसरी टीम ने नोएडा के 43 से डॉ. पवित्र प्रधान, शुभम मन्ना और अंकित शर्मा के फ्लैट पर तलाशी ली और उन्हें गिरफ्तार किया. यहां से भी भारी मात्रा में दवाएं बरामद की गईं.

कौन-कौन हैं इस मामले में आरोपी?

डॉ. पवित्रा नारायण प्रधान चीन विश्वविद्यालय से MBBS है, जिसके बाद उन्होंने दिल्ली के जीटीबी और दीपचंद बंधु अस्पताल में जूनियर रेजिडेंट के रूप में काम किया था. आरोपी शुभम मन्ना बेंगलुरु से बीटेक है. कई मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने के बाद वह इस गिरोह में शामिल हुआ. शुभम दवा पर बैच नंबर और एक्सपायरी डेट अंकित कर रहा था और पैकेजिंग वाला काम देख रहा था. पंकज सिंह बोहरा और अंकित शर्मा ITI डिप्लोमा धारक हैं. ये दोनों कूरियर कंपनी के जरिए ग्राहकों को नकली दवाएं सप्लाई कर रहे थे. आरोपी रामकुमार हरियाणा में बायोटेक नाम की एक दवा फैक्ट्री चला रहा था, जिसमें नकली दवाएं तैयार की जा रही थीं. आरोपी एकांश वर्मा की चंडीगढ़ में मेडियॉर्क फार्मा नाम से फर्म है. आरोपी प्रभात कुमार आदित्य फार्मा का मालिक है और उसका कार्यालय दिल्ली के चांदनी चांदनी चौक में है.

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गैंग ने बेची ये नकली दवाइयां ? जो कैंसर के इलाज में काम आती है.

Tagrisso 80mg- ये लंग कैंसर की दवा है, इसे ब्रिटेन की एस्ट्राजेनेका कंपनी बनाती है. इस दवाई की 10 टैबलेट की असली कीमत 2,04,435 रुपये है. यानी एक गोली की कीमत 20 हजार से ज्यादा है. लेकिन ये गैंग कैंसर पीड़ितों से मिलकर उन्हें ऑफर देता थी कि इसी दवाई को वो उन्हें 1.5 लाख में दें देगा. मरीजों को लगता था कि ऑफर अच्छा है उनके 50 हजार रुपये बच जाएगे और मरीज दवाई ले लेता था.

Olanib 150mg- महिलाओं में होने वाले ओवेरियन कैंसर के लिए ओवेरियन कैंसर की एक दवा आती है. इससे everest pharma नाम की दवा कंपनी बनाती है. इस दवा के 120 कैप्सूल की एक बोतल की कीमत 75 हजार रुपये है. ये लोग इसमें भी सस्ता देने के नाम पर लोगों को ठग रहे थे.

Tagrix 80 mg- ये दवा कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकती है. इसकी 30 गोलियों की कीमत 23 हजार रुपये है. इसको भी सस्ता बेचने के चक्कर में नकली दवा मरीजों को दी जा रही थी. Tagrix 80 mg को Beacon नाम की कंपनी बनाती है.

Osicent 80mg – ये दवा भी लंग कैंसर में काम आती है. इससे Incepta नाम की कंपनी बनाती है. इसकी 30 टैबलेटस की असली कीमत 12 हजार रुपये है. इसकी भी नकली दवा सस्ते दामों में मरीजों को बेची जा रही थी.

Ventoxen 100mg- ये बल्ड कैंसर के काम आती है. इससे भी Incepta Pharmaceuticals Ltd कंपनी बनाती है. इसके 60 टैबलेटस की कीमत 40 हजार रुपये है. इतनी मंहगी दवाइयों को ये गैंग सस्ते दामों में बेच कर उनकी जान के साथ खिलवाड़ कर रहा था.

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