Noida news :- GNIDA अपनी ही बिल्डिंग की नहीं कर पा रहा देखभाल, बारिश ने खोली पोल
Noida news :- शहर को बसाने वाला GNIDA अपनी बिल्डिंग को ही सीपेज व जलभराव की समस्या से नहीं बचा पा रहा है। शहरवासियों की समस्या का हल मिलना मुश्किल दिखाई दे रहा है।करोड़ों की लागत से बनी अथॉरिटी की बिल्डिंग अनदेखी का शिकार हुई। अगर GNIDA जैसी संस्था, जो कि शहर के विकास और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है, अपनी ही इमारत में सीपेज और जलभराव की समस्याओं को हल नहीं कर पा रही है, तो यह शहरवासियों के लिए चिंता का विषय बन सकता है। यह न केवल सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं के प्रति लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि संसाधनों के सही उपयोग पर भी सवाल खड़े करता है, खासकर जब करोड़ों रुपये की लागत से बनी इमारत की बात हो।
ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (GNIDA) उत्तर प्रदेश सरकार के तहत एक योजना प्राधिकरण है, जिसकी स्थापना 1991 में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रेटर नोएडा क्षेत्र का सुनियोजित विकास करना है, जिसमें औद्योगिक, आवासीय, वाणिज्यिक और शैक्षिक परियोजनाएँ शामिल हैं। GNIDA का मुख्य कार्य क्षेत्र की योजनाओं का क्रियान्वयन, भूमि आवंटन, और बुनियादी ढांचे का विकास करना है।
ऐसी स्थिति में, सार्वजनिक संसाधनों के सही उपयोग और जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए नागरिकों और मीडिया को इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाना चाहिए, ताकि प्रशासन ध्यान दे और समस्याओं का समाधान किया जा सके। सीपेज और जलभराव की समस्याएँ आमतौर पर इमारतों में खराब निर्माण, अपर्याप्त जल निकासी व्यवस्था, या रखरखाव की कमी के कारण होती हैं। इन समस्याओं के कारण न केवल इमारत की संरचना को नुकसान पहुंचता है, बल्कि यह स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों और असुविधाओं का भी कारण बनती हैं।
सीपेज:
यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब दीवारों या छत के माध्यम से पानी रिसता है। इसके प्रमुख कारण हैं:
- इमारत की दीवारों या छत में दरारें।
- वाटरप्रूफिंग की कमी या खराब गुणवत्ता।
- पाइपलाइन में लीकेज।
इसका असर दीवारों पर नमक जमने, पेंट उखड़ने और फंगस जैसी समस्याओं के रूप में दिखता है, जिससे इमारत की सुंदरता और मजबूती पर असर पड़ता है।
जलभराव:
यह समस्या तब होती है जब इमारत के आसपास या उसके बेसमेंट में पानी जमा हो जाता है। इसके प्रमुख कारण हैं:
- खराब ड्रेनेज सिस्टम।
- बारिश के पानी की निकासी के उचित इंतजाम न होना।
- सीवेज या पाइपलाइन ब्लॉकेज।
इसका असर इमारत के फाउंडेशन को कमजोर कर सकता है, जिससे लंबी अवधि में संरचना को नुकसान हो सकता है। साथ ही, जलभराव से मच्छर और अन्य कीटों के पैदा होने का खतरा भी बढ़ जाता है, जिससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
इन समस्याओं का समाधान करने के लिए गुणवत्तापूर्ण निर्माण सामग्री का उपयोग, नियमित मेंटेनेंस, और सही ड्रेनेज सिस्टम की आवश्यकता होती है।
Pitra Paksha 2024 :- आज से शुरू हो रहे पितृ पक्ष, जानिए किस तरह से किया जाता है पितरों का श्राद्ध