Land Allotment Cancel: M3M बिल्डर को लगा बड़ा झटका, लैंड एलोमेंट हुआ कैंसिल किया…और भी कई प्रोजेक्ट्स में रुकावट
Land Allotment Cancel: दिल्ली एनसीआर के जाने माने बिल्डर M3M को यूपी सरकार की तरफ से बड़ा झटका लगा है। सरकार ने M3M समूह की सहायक कंपनी लविश बिल्डमार्ट और स्काईलाइन पॉपकॉर्न (Skyline Popcorn) का नोएडा में आवंटन रद्द कर दिया है। प्रदेश सरकार का कहना है कि यह जमीन गैर प्रतिस्पर्धा दर पर खरीदी जा रही थी।
क्या है पूरा मामला
बतादें, नोएडा गुड़गांव (Land Allotment Cancel) समेत पूरे दिल्ली एनसीआर के मशहूर बिल्डर को नोएडा में तगड़ा झटका लगा है। गुड़गांव में आवंटन रद्द करने के बाद अब सरकार ने M3M समूह की सहायक कंपनी लविश बिल्डमार्ट और स्काईलाइन पॉपकॉर्न (Skyline Popcorn) का नोएडा में आवंटन रद्द कर दिया है। प्रदेश सरकार का कहना है कि यह जमीन गैर प्रतिस्पर्धा दर पर खरीदी जा रही थी। M3M एनसीआर में इन दिनों प्रीमियम या लक्जरी हाउसिंग (Luxury Housing) का हब बन रहा है। लक्जरी हाउसिंग में एम3एम कंपनी ने गुड़गांव में कई अच्छे प्रोजेक्ट लॉन्च और डिलीवर किए हैं। ऐसे में सरकार के इस फैसले से M3M को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
करोड़ो के प्रोजेक्ट पर जड़ेगा ताला
मिली जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले हफ्ते गुड़गांव की रियल एस्टेट कंपनी एम3एम की सहायक कंपनियों के स्वामित्व वाले नोएडा सेक्टर-72 और 94 में दो भूखंडों का आवंटन रद्द कर दिया है। प्लॉट कैंसिलेशन का आधार पर जमीन की “गैर-प्रतिस्पर्धी दर” है। डेवलपर ने जमीन लेते वक्त कुछ आवश्यकताओं requirements को भी पूरा नहीं किया था। जानकारी के मुताबिक, m3m बिल्डर की सहायक कंपनी लविश बिल्डमार्ट ने नवंबर 2022 में सेक्टर-94 में 827.4 करोड़ रुपए का एक प्लॉट आवंटन किया गया था। जबकि स्काईलाइन पॉपकॉर्न को पिछले साल फरवरी में सेक्टर-72 में 176.5 करोड़ रुपए का प्लॉट आवंटित किया गया था। पिछले हफ्ते नोएडा प्राधिकरण के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने मामले में सरकार को रिपोर्ट तैयार कर भेजी है।
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नोएडा अथॉरिटी को दी शिकायत, जांच में खुलासा
इस साल फरवरी में नोएडा अथॉरिटी को एक शिकायत मिली थी कि इन भूखंडों के आवंटन के लिए प्राधिकरण द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों का उल्लंघन किया गया है। इसके बाद ही उत्तर प्रदेश सरकार का यह आदेश आया है। शिकायत में कहा गया था कि आथॉरिटी ने ई-टेंडर प्रोसेस में किसी कंपनी की सब्सिडियरी कंपनी के लिए जो पैमाना तय किया है, उसका पालन नहीं किया गया है। नियमानुसर एक सहायक कंपनी को भूखंडों के आवंटन के लिए नेट वर्थ, सॉल्वेंसी और टर्नओवर का जो न्यूनतम मानक रखा गया है, उसे पूरा करना होगा। इसके बाद अप्रैल में यूपी सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी गई। इसी रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव (यूपी औद्योगिक विकास विभाग) अनिल कुमार सागर ने आदेश जारी किया है।