November 22, 2024, 12:01 pm

केपटाउन सोसाइटी में जारी है अवैध वसूली। रोक के बाद भी प्रीपेड मीटर से वसूले जा रहे हैं CAM चार्ज। बेईमान बिल्डर की करतूत पर ब्रेक कब ?

Written By: गली न्यूज

Published On: Friday July 1, 2022

केपटाउन सोसाइटी में जारी है अवैध वसूली। रोक के बाद भी प्रीपेड मीटर से वसूले जा रहे हैं CAM चार्ज। बेईमान बिल्डर की करतूत पर ब्रेक कब ?

गौतमबुद्ध नगर के नोएडा के सेक्टर 74 (Sector-74, Noida)  स्थित सुपरटेक केपटाउन ( Supertech Capetown)  सोसाइटी में घर लेना गुलाम बनना जैसा हो गया है। एक ओर बिल्डर की मनमानी से रेजिडेंट्स परेशान हैं वही अव्यवस्था लोगों की मुश्किलों को और बढ़ा रखा है। सोसाइटी की ज्यादातर दीवारें बिना प्लास्टर की नजर आती हालांकि उसको मेंटेन करने के लिए मेंटेनेंस के नाम पर मोटी रकम वसूल की जाती है।

उस पर से आलम यह है कि प्रीपेड मेंटेनेंस चार्ज किया जाता है। मेंटेनेंस के साथ ही प्रीपेड मीटर से ही बिजली बिल की भी अवैध वसूली की जाती है। नोएडा पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी NPCL के आदेश के मुताबिक किसी भी सोसाइटी में प्रीपेड मीटर (Prepaid Meter) से बिजली बिल की अवैध वसूली नहीं की जा सकती। लेकिन सुपरटेक केपटाउन सोसाइटी में बीते 7 सालों से बिल्डर और उसकी मेंटेनेंस एजेंसी इसी काम में लगे हुए हैं।

https://gulynews.com को मिली जानकारी के मुताबिक सोसाइटी के रेजिडेंट्स कई बार बिल्डर के इस मनमानी रुख की शिकायत कर चुके हैं लेकिन बदमाश बिल्डर के कान पर जूं तक नहीं रेंग रहे। ऐसा लगता है कि सोसाइटी नहीं गुलामों की बस्ती है जहां बेईमान बिल्डर सुपरटेक अंग्रेजों की तरह राज कर रहा है। सोसाइटी में हर फ्लैट के लिए रेडियस के मीटर लगाए गए हैं। जैसे ही फ्लैट ओनर का रिचार्ज – 100 रूपया पहुंचता है तो उसके फ्लैट की बिजली कट कर दी जाती है। यह तब है जब बिजली आवश्यक सेवाओं में शामिल है।

कई बार इसका शिकार फ्लैट में रह रहे बुजुर्ग महिलाएं और बच्चे होते हैं खासतौर से वह लोग जिनकी तबीयत खराब है या ऑक्सीजन सपोर्ट सिस्टम पर हैं तो उन्हें बेहद परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन बेईमान बिल्डर को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता उसे तो मतलब है बस पैसे कमाने से। कैप्टन सोसाइटी में करीब 5000 फ्लैट हैं इस हिसाब से अगर बिल्डर ₹500 भी एडवांस अपने पास रखता है तो करीब ₹25,00,000 (Twenty Five Lakh) की मोटी रकम बिल्डर अपने पास जमा कर लेता है। बड़ी बात यह है कि इस तरह के रकम का बिल्डर किसी तरह का लाभ रेजिडेंट्स को नहीं देता।

सोसाइटी पहले ही व्यवस्था के नाम पर कई तरह की अव्यवस्था का शिकार है। ओपन पार्किंग के लिए सोसाइटी में आए दिन झगड़े देखे जा सकते हैं। इतना ही नहीं बिल्डर ने जगह-जगह नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बेसमेंट में भी तरह-तरह के ईलीगल पार्किंग अलॉट कर दिए हैं। कई जगह तो आलम यह है कि फायर टेंडर की गाड़ियां भी बेसमेंट में नहीं जा सकती। ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसी लापरवाही और बेईमानी पर ब्रेक कब लगेगा ? कब तक रेजिडेंट्स के जेब से पैसे वसूलते रहेगी भ्रष्ट मेंटेनेंस एजेंसी ?

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