Gurugram News: चिंटेल्स मामले में आज होगी सुप्रीम सुनवाई
Gurugram News: गुरुग्राम से चिंटेल्स पैराडिसो टॉवर से जुड़ी बेहद अहम खबर है। गुरुग्राम में चिंटेल्स पैराडिसो टॉवर के क्षतिग्रस्त होने से इन असुरक्षित पांच टावरों को गिराने की योजना सिरे नही चढ़ पा रही है। इस मामले में बृहस्पतिवार यानी चार जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। सुनवाई में आए निर्णय के आधार पर इन असुरक्षित टावरों को गिराने के कदम बढ़ाए जाएंगे।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक गुरुग्राम में सेक्टर-109 स्थित चिनटेल्स पैराडाइसो के असुरक्षित पांच टावरों डी,ई, एफ, जी और एच को गिराने की कार्रवाई सिरे नहीं चढ़ पा रही। इस मामले में बृहस्पतिवार यानी चार जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। मनोज सिंह व अन्य बनाम चिनटेल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड केस में बिल्डर ने एक जनवरी को अपना जवाब कोर्ट के समक्ष पेश किया है। कुल सात बिंदुओं के इस जवाब में फ्लैट धारकों की कई मांगो को निराधार बताया है। साथ ही मामले को खारिज करने की मांग की है।
बिल्डर पक्ष की ओर से दायर जवाब में मुख्य रूप से फ्लैट धारकों को ऑफर की गई राशि को नजदीकी इंफ्रा प्रोजेक्ट में सबसे अधिक भी बताया है। इसमें सेक्टर 103 स्थित हरमिटेज, सेक्टर 106 स्थित पारस डियूज, सेंट्रम पार्क, सेक्टर 108 स्थित द हर्ट्स सॉग, सेक्टर 102 स्थित गुरगांव ग्रीन के सेल और प्रति स्क्वायर कीमत का जिक्र है। इसमें न्यूनतम कीमत 4725 रुपये से अधिकतम 6484 रुपये स्क्वायर प्रति स्क्वायर फुट बताई गई है। बिल्डर सेक्टर 109 स्थित पैराडाइसो के फ्लैट धारकों को 6500 रुपये प्रति स्क्वायर फुट के लिहाज से कीमत दे रहा है। इसके साथ ही इंटीरियर व स्टांप ड्यूटी हितधारकों को दी जा रही है। हालांकि इस मामले में एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है।
बीते साल 2022 में 10 फरवरी को सेक्टर-109 स्थित चिनटेल्स पैराडाइसो सोसाइटी के टावर डी की छठी मंजिल की छत का एक हिस्सा गिर गया था। इसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और करीब आधा दर्जन लोग घायल हो गए थे। हादसे के करीब नौ महीने बाद आईआईटी दिल्ली के एक्सपर्ट्स की संरचनात्मक जांच में यह टावर रहने योग्य नहीं पाए गए। ऐसे में प्रशासन ने चिनटेल्स के नौ में से पांच टावरों को असुरक्षित घोषित कर उन्हें ढहाने के आदेश जारी कर दिए हैं। अब इन टावरों में रहने वाले फ्लैट मालिक अपने अपने हितों की रक्षा के लिए बिल्डर से अलग-अलग मुद्दों पर करार की मांग कर रहे हैं। इन मुद्दों को लेकर प्रशासन, फ्लैट मालिक और बिल्डर पक्ष में अभी तक कोई सहमति नहीं बन सकी है।
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