November 22, 2024, 10:18 pm

Greater noida news: ब्लू प्लेनेट कंपनी और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की साझेदारी, ऐसे तैयार हो रहा है कूड़े से बायोगैस

Written By: गली न्यूज

Published On: Wednesday August 23, 2023

Greater noida news: ब्लू प्लेनेट कंपनी और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की साझेदारी, ऐसे तैयार हो रहा है कूड़े से बायोगैस

Greater noida news: ग्रेटर नोएडा में हाल ही में शुरू हुए एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा क्लस्टर (Integrated Waste Management Facility Cluster) यानी के पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए घरों से निकलने वाले कचरे का उपयोग कर उससे बायो गैस, सीएनजी और खाद बनाने वाली यूनिट है. ग्रेटर नोएडा में ब्लू प्लेनेट कंपनी ने प्लांट की स्थापना ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (Greater Noida Authority) के साथ साझेदारी में की गई है. कंपनी के सह संस्थापक व सीईओ ने प्लांट का दौरा कर यूनिट की क्षमता का जायजा लिया. यूनिट ग्रेटर नोएडा की लगभग 9 सेक्टर से निकलने वाले 18 मिट्रिक टन कचरे रिसाइकिल कर उससे बायोगैस, सीएनजी गैस और फर्टिलाइजर बना रही है.

दरअसल, घरों से इकट्ठे इस कूड़े से इस प्लांट में बायोगैस, सीएनजी गैस और फर्टिलाइजर बनाया जा रहा है. फिलहाल जो सीएनजी इस गार्बेज से बन रही है, वह प्लांट पर आने वाली गाड़ियों में इस्तेमाल की जा रही है. यह इस तरह का भारत का पहला प्लांट है. अभी फिलहाल बनने वाली सीएनजी से खुद प्लांट में लगी गाड़ी के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. आने वाले समय में प्लांट और अधिक कचरे को रिसाइक्लिंग कर उससे बनने वाली गैस और खाद को मार्केट में सप्लाई किया जाएगा.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने  किया था उद्घाटन

हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस यूनिट का उद्घाटन किया था. यह यूनिट पर्यावरणी समस्याओं को हल कर सार्वजनिक-निजी भागीदारी के महत्व पर ज़ोर देती है. ब्लू प्लेनेट एशिया का यह प्लांट टीम वर्क के साथ आधुनिक मॉडल पर काम करता है.

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नोएडा प्लांट की स्थापना ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के साथ साझेदारी में की गई. इस प्लांट में प्रति दिन 18 मीट्रिक टन व्यर्थ को प्रसंस्कृत करने की क्षमता है. यह युनिट स्थायी ईंधन की आपूर्ति, व्यर्थ को बायोगैस व सीएनजी में रीसायकल करने की ब्लू प्लेनेट के नेतृत्व को दर्शाती है. इसके अलावा कंपनी की एमएसडब्ल्यू पहल के चलते कार्बन डाई ऑक्साईड के उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आई है. जो विश्वस्तरीय जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप है.

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