Flat Buyers Issues: प्रतीक ग्रुप के खिलाफ खरीदारों ने की एफआईआर, ये है वजह
Flat Buyers Issues: उत्तर प्रदेश के नोएडा में फ्लैट खरीदारों के साथ धोखाधड़ी को लेकर बड़ी अपडेट है। प्रतीक ग्रुप के खिलाफ खरीदारों ने केस किया है। खरीदारों का आरोप है कि फ्लैट 10 फीसदी छोटे हैं। इस मामले में खरीदारों ने ईओडब्लू से संपर्क किया। इसके बाद एफआईआर दर्ज कराई है।
क्या है पूरा मामला
बतादें, उत्तर प्रदेश (Flat Buyers Issues) के नोएडा में वादे से छोटे फ्लैट दिए जाने का मामला गरमा गया है। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने प्रतीक ग्रुप के मालिकों और वरिष्ठ प्रबंधन के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। प्रतीक ग्रुप में 20 घर खरीदारों के एक समूह ने नोएडा स्थित रियलटर पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया। सेक्टर 107 में प्रतीक एडिफिस के 20 खरीदारों की ओर से शिकायत के बाद दर्ज कराई गई है। FIR में मालिक प्रशांत एवं प्रतीक तिवारी, वरिष्ठ प्रबंधक सुनील कुमार मित्तल और अंशुमान शर्मा का नाम दर्ज किया गया है। पुलिस के दस्तावेज के अनुसार, डेवलपर्स ने 190 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की।
वादे से काफी छोटे दिए फ्लैट
शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि एडिफिस में 423 फ्लैट बेचे गए। उनसे किए गए शुल्क से 10-12 फीसदी छोटे थे। शिकायतकर्ता राजीव गोयल ने ली कहा कि हमें जो फ्लैट दिए गए, वे वादे से काफी छोटे थे। जब हमने डेवलपर के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) से संपर्क किया, तो एक सर्वेक्षण करने के लिए एक आर्किटेक्ट को नियुक्त किया गया। उन्होंने न केवल हमें छोटे फ्लैट दिए, बल्कि हमारी सहमति के बिना स्वीकृत योजना से परे निर्माण भी किया।
अधिक लीज रेंट वसूलने का लगाया आरोप
प्रतीक समूह पर फ्लैट मालिकों से एकमुश्त लीज रेंट के रूप में 12.8 करोड़ रुपये वसूलने का भी आरोप लगाया गया था, जबकि नोएडा प्राधिकरण को देय राशि 6.4 करोड़ रुपये थी। खरीदारों के अनुसार, डेवलपर ने प्राधिकरण को राशि का भुगतान भी नहीं किया। रियल्टर ने फ्लैटों को सौंपने में भी देरी की। राजीव गोयल ने कहा कि मैंने अप्रैल 2012 में जो फ्लैट बुक किया था, उसे दिसंबर 2015 में देने का वादा किया गया था। इसके बाद हैंडओवर की तारीख एक साल आगे बढ़ा दी गई। हालांकि, फ्लैट फरवरी 2019 में ही दिया गया।
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एफआईआर में क्या?
एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि प्रतीक समूह ने फ्लैट मालिकों से आईएफएमएस (ब्याज मुक्त रखरखाव सुरक्षा) के रूप में 9 करोड़ रुपये से अधिक एकत्र किए, लेकिन प्राधिकरण से नोटिस के बावजूद मालिकों के संघ को यह राशि वापस नहीं की। खरीदारों ने दावा किया कि डेवलपर ने ग्रिड बिजली, मीटर कनेक्शन, वाईफाई, रसोई गैस सुरक्षा और सीवर कनेक्शन के लिए भी अधिक शुल्क लिया। राजीव गोयल ने कहा कि हालांकि अप्रैल 2019 में सामान्य प्रीपेड बिजली सब-मीटरों को कैलिब्रेट और सक्रिय किया गया था। डेवलपर्स ने जनवरी 2019 से ग्रिड और डीजी बिजली के लिए निश्चित शुल्क वसूलना शुरू कर दिया। एफआईआर के अनुसार, बिल्डर ने कथित जल शुल्क बकाया के लिए 18.8 लाख रुपये भी वसूले।