November 22, 2024, 5:39 am

Business News: क्या फ्लैट की लीज खत्म होने पर छिन जाएगा आपका मालिकाना हक, आइए जानें….

Written By: गली न्यूज

Published On: Friday December 29, 2023

Business News: क्या फ्लैट की लीज खत्म होने पर  छिन जाएगा आपका मालिकाना हक, आइए जानें….

Business News: राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र समेत देश के ज्‍यादातर शहरों में फ्लैट्स की बिक्री 99 साल की लीज पर की जा रही है। ऐसे में ज्‍यादातर खरीदारों के मन में ये सवाल उठना लाजिमी है कि लीज अवधि खत्‍म होने के बाद उनके फ्लैट का क्‍या होगा? देश में जमीन, मकान, दुकान और फ्लैट की खरीद-बिक्री लीजहोल्‍ड व फ्रीहोल्‍ड दो तरह से होती है। देश में ज्‍यादातर लोग अपनी जमीन लेकर घर बनाना या जमीन समेत मकान खरीदना ज्‍यादा पसंद करते हैं। लेकिन, जमीन की कीमत ज्‍यादा होने के कारण फ्लैट खरीद लेते हैं। तो क्‍या 99 साल की अवधि के बाद आपसे ये फ्लैट वापस ले लिया जाएगा? क्‍या आपका लीजहोल्‍ड पर खरीदे गए फ्लैट से मालिकाना हक खत्‍म हो जाएगा?

क्या है पूरा मामला

जानकारी के मुताबिक दिल्‍ली-एनसीआर समेत देश के कई बड़े शहरों में अब एक या दो मंजिला मकानों के बजाय ऊंची-ऊंची इमारतों वाली सोसायटीज ज्‍यादा नजर आने लगी हैं। इनमें खरीदरों को फ्लैट्स 99 साल की लीज पर मिलते हैं, दूसरे शब्‍दों में कहें तो खरीदारों को 99 साल के लिए फ्लैट के इस्‍तेमाल की छूट मिल जाती है। ऐसी संपत्ति को लीजहोल्‍ड प्रॉपर्टी कहा जाता है। तो क्‍या 99 साल की अवधि के बाद आपसे ये फ्लैट वापस ले लिया जाएगा? क्‍या आपका लीजहोल्‍ड पर खरीदे गए फ्लैट से मालिकाना हक खत्‍म हो जाएगा?

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देश में जमीन, मकान, दुकान और फ्लैट की खरीद-बिक्री लीजहोल्‍ड व फ्रीहोल्‍ड दो तरह से होती है। देश में ज्‍यादातर लोग अपनी जमीन लेकर घर बनाना या जमीन समेत मकान खरीदना ज्‍यादा पसंद करते हैं। लेकिन, जमीन की कीमत ज्‍यादा होने के कारण फ्लैट खरीद लेते हैं। आपने घर के बुजुर्गों को अक्‍सर ये कहते सुना होगा कि घर ऐसा खरीदना चाहिए जिसमें जमीन और छत अपनी हो। सबसे पहले समझते हैं कि लीजहोल्‍ड और फ्रीहोल्‍ड प्रॉपर्टी क्‍या होती है?

फ्रीहोल्ड प्रॉपर्टी से ही बनती है पुश्‍तैनी जायदाद

फ्रीहोल्‍ड प्रॉपर्टी वो संपत्ति है, जिस पर खरीदार के अलावा किसी दूसरे व्‍यक्ति का अधिकार नहीं होता है. ऐसी संपत्ति खरीदार के बच्‍चों और फिर उनके बच्‍चों को खुद-ब-खुद हस्‍तांतरित होती रहती है। दूसरे शब्‍दों में कहें तो फ्रीहोल्‍ड प्रॉपर्टी से ही पुश्‍तैनी जायदाद बनती है। इस पर परिवार से बाहर का कोई व्‍यक्ति तभी अधिकार जता सकता है, जब इसे बेच दिया जाए या वसीयत के जरिये उसे दे दिया जाए। आसान शब्‍दों में कहें तो फ्री-होल्ड प्रॉपर्टी खरीदने के बाद पूरी तरह से खरीदार की हो जाती है।

बढ़वानी पड़ती है लीजहोल्ड प्रॉपर्टी की लीज

दिल्‍ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुड़गांव, फरीदाबद समेत देश के ज्‍यादातर शहरों में फ्लैट्स लीजहोल्‍ड प्रॉपर्टी के तौर पर बेचे जा रहे हैं। साफ है कि ये फ्लैट्स इसी अवधि तक आपके अधिकार में हैं। कुछ जमीनों की लीज 10 साल, 20 साल, 15 साल या 30 साल भी की जाती है। कम अवधि की लीजहोल्‍ड प्रॉपर्टी खरीदने पर बैंक से लोन मिलना भी मुश्किल हो जाता है। लीजहोल्‍ड प्रॉपर्टी तय अवधि के बाद मूल मालिक के पास वापस चली जाती है। अगर मूल मालिक चाहे तो उसकी जमीन पर खड़ी पूरी की पूरी इमारत को गिरा भी सकता है। ऐसे में लीजहोल्‍ड प्रॉपर्टी को बचाए रखने के लिए खरीदार को लीज बढ़वानी पड़ती है।

लीजहोल्‍ड प्रॉपर्टी पर कैसे बना रहेगा हक

एडवोकेट सलीम शाह ने बताया कि लीजहोल्‍ड पर संपत्ति खरीदने वालों को घबराने की जरूरत नहीं है। लीज की अवधि पूरी होने पर इसे बढ़वाया जा सकता है। वहीं, अवधि पूरी होने से पहले ही लीजहोल्‍ड प्रॉपर्टी को फ्रीहोल्‍ड प्रॉपर्टी में बदलवाकर हमेशा के लिए संपत्ति पर अपना मालिकाना हक हासिल किया जा सकता है। इसके लिए संबंधित प्राधिकरण में आवेदन कर शुल्‍क का भुगतान करना होता है। उन्‍होंने बताया कि राज्‍य सरकारें समय-समय पर लीजहोल्‍ड प्रॉपर्टी को फ्रीहोल्‍ड में कंवर्ट कराने के लिए योजनाएं लाती रहती हैं। बड़ी-बड़ी सोसायटीज के मामले में ये काम बिल्‍डर्स को करना होता है। अलग-अलग राज्‍यों में इसे लिए शुल्‍क भी अलग लगता है।

अगर लीज अवधि से पहले ढह जाए इमारत तो…

उत्‍तर प्रदेश हाईकोर्ट के एडवोकेट आनंदपति तिवारी ने बताया कि अगर लीज अवधि खत्‍म होने से पहले इमारत को गिराया जाता है तो जिस जमीन पर फ्लैट्स बने हैं उसके सर्किल रेट के आधार तय कीमत फ्लैट मालिकों के बीच बराबर-बराबर बांट दी जाएगी। उन्‍होंने उदाहरण देकर बताया, ‘मान लीजिए किसी 200 गज जमीन पर 10 फ्लैट बने हैं। लीज अवधि खत्‍म होने से पहले सभी फ्लैट को ध्‍वस्‍त किया जाता है तो उस समय 200 गज जमीन की सर्किल रेट के आधार पर तय होने वाली कीमत सभी में बराबर बांट दी जाएगी। दूसरे शब्‍दों में कहा जाए तो हर फ्लैट मालिक 20 गज जमीन का मालिक होगा। वहीं, दूसरा तरीका ये भी है कि सभी फ्लैट मालिक बिल्‍डर को नए सिरे से इमारत बनाने के लिए कह सकते हैं। इसके लिए उन्‍हें निर्माण लागत का भुगतान करना होगा।

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सोसायटी की जमीन में फ्लैट खरीदार की हिस्‍सेदारी

एडवोकेट आनंदपति तिवारी बताते हैं कि सरकार ने इमारत गिराए जाने या खुद गिर जाने की स्थिति में फ्लैट खरीदारों की चिंता को दूर करने के लिए कानून में कई प्रावधान किए हैं। दरअसल, समय बीतने के साथ हर बिल्डिंग कमजोर होगी। एक समय ऐसा जरूर आएगा, जब उसे ढाहने की जरूरत महसूस होगी।वहीं, प्राकृतिक आपदा या घटिया कंस्ट्रक्शन के कारण भी बिल्डिंग गिर सकती है। ऐसे में सरकार ने फ्लैट खरीदारों के लिए कानून में अनडिवाइडेट शेयर इन लैंड यानी यूडीएस का प्रावधान किया है। इसके तहत जिस जमीन पर सोसायटी खड़ी है, उसमें फ्लैट खरीदार की हिस्सेदारी भी होगी। लिहाजा, हर सोसायटी में फ्लैट खरीदारों को जमीन में परोक्ष हिस्सेदारी दी गई है।

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