होली 2022: होलिका दहन का क्या है शुभ मुहूर्त ? कैसे करें पूजा ?
रंगों का त्योहार होली सबके लिए खुशियां लेकर आती है। यह त्योहार जहां बुराई पर अच्छाई की जीत है वहीं यह भेदभाव मिटाने वाली त्योहार भी है। रंग से अमीरी-गरीबी .. काले-गोरे तक का भेद मिट जाता है। सवाल है कि होली के इस खास त्योहार का क्या है शुभ संयोग और शुभ मुहूर्त?
होली कैसे मनाएं ?
धार्मिक-सामाजिक रूप से मनाया जाने वाला त्योहार 2 दिन मनाया जाता है। पहले दिन होलिका दहन होता है जो हर चौराहे पर होता। लोग घरों में भी जलाते हैं। गोबर के कंडे, गोबर की गुलेरियां और लकड़ियों का पूजन कर होलिकादहन होता है। सबसे पहले होलिका मां को खड़ा करके उनकी पूजा करते हैं। तिलक करते हैं, गुलाल लगाते हैं। फूल, सुपारी, असद, होलिका मां पर चढ़ाते हैं, गुलेरी की माला पहनाते हैं। घर में बना पकवान गुजिया, पपड़ी,मिठाई मां को चढ़ाते है। फिर होलिकादहन के बाद परिक्रमा करते हैं। गेहूं की बाली को तोड़कर होलिका दहन में डालते जाते हैं। बाद में चने और गेहूं की बाली को भूनकर प्रसाद खाते हैं और लोगों में बांटते हैं।
होली क्यों मनाई जाती है ?
कहते है बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी तभी से होली मनाई जाती है। होलिका मां हिरण्याकश्यप की बहन थी।
होली मनाने के पीछे उनसे जुड़ी एक कहानी है। होलिका मां प्रह्लाद की बुआ थीं। उनको ये वरदान था कि वो आग में कभी नहीं जलेंगी। इस वरदान का फायदा उठाकर विष्णु भगवान के विरोधी हिरण्यकश्यप ने होलिका मां का आज्ञा दी कि वो प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ जाए। प्रह्लाद विष्णु भगवान के बहुत बड़े भक्त थे। और प्रह्लाद के पिता हिरण्याकश्यप सबसे बड़े विरोधी, इसका कारण वो प्रह्ललाद के भी विरोधी हो गए। भाई की आज्ञा मानकर होलिका मां प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गईं। लेकर आग में विष्णु भक्त प्रह्लाद तो बच गया। होलिका मां का दहन हो गया। इसलिए कहते है बुराई पर अच्छाई की जीत।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन 17 मार्च गुरुवार को है। होलिका दहन की पूजा करने का शुभ मुहूर्त रात 9:20 मिनट से लेकर 10:31 तक रहेगा। होलिका दहन के लिए 1 घंटे का शुभ मुहूर्त रहेगा। इसी शुभ मुहूर्त में पूजा करने का लाभ मिलेगा।