Saving Account Cash Limit: सेविंग अकाउंट में जमा किया इतना कैश तो आयेगा इनकम टैक्स नोटिस, जानें क्या हैं धारा 114B के नियम
Saving Account Cash Limit: आज के समय ने वित्तीय लेन देने के लिए बैंक में खाता होना बहुत जरूरी है। जब बैंक में खाता ओपेन करवाने के लिए जाते हैं तो बैंक कि ओर से कई बैंक अकाउंट खुलवाने के कई ऑप्शन दिए जाते हैं। ऐसे में आप जीरो बैलेंस (zero balance account) या सेविंग अकाउंट ओपन करवा सकते हैं। हांलाकि, देश में ज्यादातर लोगों के पास सेविंग अकाउंट है। क्योंकि सेविंग अकाउंट में जमा पूंजी पर ब्याज मिलता है वैसे हर बैंक अकाउंट के अपने फायदे होते हैं। लेकिन वहीं,अगर आप सेविंग अकाउंट (savings account) में लिमिट से ज्यादा कैश जमा करवाते हैं तो इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) नोटिस भेज सकता है। आपको ये जानकारी होना बहुत जरूरी है कि सेविंग अकाउंट में कैश जमा करवाने की कितनी लिमिट होती है।
क्या है पूरा मामला
देश में ज्यादतर लोगों के पास सेविंग अकाउंट (Saving Account Cash Limit) हैं। सेविंग अकाउंट के कई सारे फायदे होते हैं। अगर आप सेविंग अकाउंट (savings account cash limit) में पैसे जाम रखते हैं तो बैंक आपको ब्याज देता है। वैसे तो सेविंग अकाउंट में पैसे जाम करवाने की कोई लिमिट नहीं है। लेकिन अगर, आपके द्वारा जमा कराया गया पैसा इनकम टैक्स के दायरे में आता है तो आयकर विभाग आपको नोटिस भेज सकता है। अब लोगों के मन में कई तरह के सवाल चल रहे हैं। कि सेविंग्स अकाउंट (savings account) में कितना पैसा जमा रख सकते हैं। एक वित्त वर्ष में आपके सेविंग्स अकाउंट में कितना पैसा होना चाहिए?
कैश जमा’ करने का क्या है मतलब
कैश जमा करने का मतलब है आपके बैंक अकाउंट (bank account) में मैन्युअल रूप से या मनी ट्रांसफर या एटीएम जैसे तरीकों से पैसों का जमा होना। लोग अक्सर ट्रांजेक्शन करने या उसे सुरक्षित रखने के लिए बैंकों में पैसा जमा करते हैं। जमा हो जाने के बाद आप पैसे निकाल सकते हैं और इसे अभी भी कैश जमा के तौर पर ही जाना जाता है।
क्या कहता है नियम
आयकर विभाग (Income tax department) के अनुसार एक वित्त वर्ष के दौरान सेविंग अकाउंट में कैश जमा करने की सीमा 10 लाख रुपये है। सभी बैंकों या फाइनेंशियल संस्थानों (financial institutions) को इनकम टैक्स अधिनियम 1962 की धारा 114B के अनुसार बड़ा कैश जमा करने पर इनकम टैक्स विभाग को बताना होता है। विभाग हर एक सेविंग अकाउंट (Saving Account Cash Limit) पर नजर रखता है कि जमा किया गया पैसा तय लिमिट से अधिक है या नहीं।
इनकम टैक्स विभाग कब भेजता है नोटिस-
एक वित्त वर्ष में जमा कैश का कैलकुलेशन व्यक्ति के सभी खातों को ध्यान में रखकर किया जाता है। नियमों के मुताबिक, अगर आप अपने सेविगंस अकाउंट में तय सीमा से ज्यादा रकम रखते हैं तो इनकम टैक्स की नजर में आएंगे। तय सीमा से ऊपर कैश होने की स्थिति में आपको इनकम टैक्स (Income Tax) भरना होगा। उदाहरण के तौर पर अगर कोई व्यक्ति की सालाना इनकम 10 लाख रुपये है और उसे ब्याज 10,000 रुपये मिलता है तो उस व्यक्ति का टोटल इनकम 10,10,000 रुपये माना जाता है। अगर कोई व्यक्ति एक वित्तयी वर्ष में 10 लाख रुपये से ज्यादा कैश रखते हैं तो आपको इसकी जानकारी आयकर विभाग को देना होगा। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आयकर विभाग आपके खिलाफ कदम उठाता सकता है।
एफडी से कमाई पर टैक्स
बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट यानी FD से कमाया ब्याज इंडिविजुअल्स यानी आम लोगों के लिए पूरी तरह टैक्सेबल यानी पूरी तरह से टैक्स के दायरे में है। सीनियर सिटीजन यानी 60 वर्ष से ऊपर के लोग सेविंग्स अकाउंट (savings account) और FD से कमाए ब्याज पर 50,000 रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। डिडक्शन का फायदा लेने के लिए ब्याज को ITR में दिखाना होता है और सेक्शन 80TTB के तहत डिडक्शन लिया जा सकता है। 60 साल से कम उम्र के लोगों को 80TTB का फायदा नहीं मिलता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) का ब्याज एक निश्चित सीमा से ज्यादा होने पर बैंक 10 फीसदी की दर से TDS भी काटते हैं। सीनियर सिटीजन के लिए ये लिमिट 50 हजार रुपये और गैर-सीनियर सिटीजन (Non-Senior Citizen) यानी 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए लिमिट 40,000 रुपये है। आपकी ब्याज समेत कुल कमाई बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट से कम होने पर फॉर्म-15G/15H फाइल करके टीडीएस (TDS) कटने से रोक सकते हैं। पुरानी यानी ओल्ड टैक्स रिजीम (old tax regime) में 60 साल से कम उम्र के करदाताओं के लिए बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट ढाई लाख रुपये है। 60 साल से अधिक यानी सीनियर सिटीजन (senior citizen) के लिए ये लिमिट 3 लाख रुपये, जबकि सुपर सीनियर सिटीजन यानी 80 साल और उससे ऊपर के लिए 5 लाख रुपये है। वित्त वर्ष 2023-24 से न्यू टैक्स रिजीम में बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट 3 लाख रुपये है।
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स्मॉल सेविंग स्कीम के ब्याज पर टैक्स
स्माल सेविंग्स स्कीम (Small Savings Scheme) जैसे रेकरिंग डिपॉजिट यानी RD, किसान विकास पत्र (KVP) और नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) से मिले ब्याज पर भी टैक्स लगता है। ब्याज की रकम आपकी कमाई में जुड़ेगी और आप जिस इनकम स्लैब (income slab) में आएंगे उस हिसाब से टैक्स देना होगा। इसी तरह, सीनियर सिटीजन के बीच खासी पॉपुलर सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम यानी SCSS है। इसमें निवेश करने पर उन्हें नियमित अंतराल पर ब्याज मिलता है। इस स्कीम में मिलने वाले ब्याज पर भी टैक्स लगता है। अगर ब्याज समेत कुल कमाई बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट (Basic Exemption Limit) से कम है तो टैक्स नहीं लगेगा।
पूरी तरह से टैक्स-फ्री ये स्कीम
पब्लिक प्रोविडेंड फंड (Public Provident Fund) यानी पीपीफ ऐसी चुनिंदा सेविंग्स स्कीम्स में से एक है, जो EEE यानी Exempt-Exempt-Exempt कैटेगरी में आती है। इसका मतलब है कि PPF में जमा प्रिंसिपल अमाउंट, ब्याज और मैच्योरिटी पर मिलने वाला पैसा पूरी तरह से टैक्स-फ्री है।