Tax Saving Tips: 12 लाख तक की सैलरी वालों को इनकम टैक्स से छूट, जानें पूरी खबर
Tax Saving Tips: इनकम टैक्स से जुड़ी एक बेहद अहम खबर है। अगर आपकी सैलरी 12 लाख रुपए तक है, तो आपको इनकम टैक्स के किए एक भी रुपया नही देना पड़ेगा। अगर आपकी सैलरी पर टैक्स बनता है तो कंपनी इसे काट लेती है। हालांकि इनकम टैक्स की अंतिम कैलकुलेशन आईटीआर फाइल करने के बाद आयकर विभाग ही करता है। इनकम टैक्स विभाग या तो आपकी फाइनेंशियल ईयर की कमाई से टैक्स काट लेता है या आपको टैक्स रिफंड भेज देता है।
क्या है पूरा मामला
अगर आप भी सैलरीड क्लॉस हैं तो आपकी कंपनी ने निवेश संबंधित डॉक्यूमेंट मांगे होंगे। दरअसल, हर कंपनी दिसंबर से फरवरी के बीच कर्मचारियों से निवेश से जुड़े दस्तावेज मांगती है। इन डॉक्यूमेंट के बेस पर ही कंपनी फाइनेंशियल ईयर के लिए इनकम टैक्स की कैलकुलेशन करती है। अगर आपकी सैलरी पर टैक्स बनता है तो कंपनी इसे काट लेती है। हालांकि इनकम टैक्स की अंतिम कैलकुलेशन आईटीआर फाइल करने के बाद आयकर विभाग ही करता है। इनकम टैक्स विभाग या तो आपकी फाइनेंशियल ईयर की कमाई से टैक्स काट लेता है या आपको टैक्स रिफंड भेज देता है।
कम से कम इनकम टैक्स कैसे दे?
हर नौकरीपेशा का यही सवाल रहता है कि वह आयकर से कैसे बचे या कम से कम इनकम टैक्स कैसे दे? अगर आपने ओल्ड टैक्स रिजीम सिलेक्ट की है तो आपका यह सवाल जरूर होगा। आयकर अधिनियम की धारा 87A के तहत 12,500 रुपये की टैक्स छूट मिलती है। ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत निवेश के तमाम विकल्प हैं। अगर आपकी सैलरी 12 लाख रुपये भी है तो भी आपको 1 रुपये टैक्स देने की जरूरत नहीं है।
टैक्स बचाने के लिए प्लानिंग जरूरी
चार्टेड अकाउंटेंट आशीष मिश्रा कहते हैं कि इनकम टैक्स बचाने के लिए आपको सेविंग की सही से प्लानिंग करने की जरूरत है। इसके लिए आप किसी भी एक्सपर्ट से सलाह ले सकते हैं। यदि कंपनी ने आपका टैक्स काट लिया है तो आप आईटीआर फाइल करके कटे हुए पैसे को वापस पा सकते हैं। 12 लाख सैलरी पर आप ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत 30 प्रतिशत टैक्स के दायरे में आते हैं। इस सैलरी पर आपके लिए ओल्ड टैक्स रिजीम का सिलेक्शन करना बेहतर रहेगा। देखिए पूरी कैलकुलेशन…
ये है पूरा गणित
1. कोई भी कंपनी कर्मचारियों की सैलरी दो हिस्सों में देती है। इसमें पहले को पार्ट-A और दूसरे को पार्ट-B कहा जाता है. कुछ जगह पर इसे पार्ट-1 और पार्ट-2 कहते हैं। आमतौर पर 12 लाख की सैलरी पर तीन लाख रुपये पार्ट-B या पार्ट-2 में रखा जाता है। इस तरह आपकी टैक्सेबल इनकम घटकर 9 लाख रुपये रह जाती है।
2. आप सबसे पहले स्टैंडर्ड डिडक्शन के रूप में वित्त मंत्रालय की तरफ से दिए जाने वाले 50000 रुपये को घटा दें। इन्हें घटाने के बाद आपकी टैक्सेबल इनकम घटकर 8.50 लाख रुपये रह गई।
3. इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की सेविंग क्लेम कर सकते हैं। इसमें ट्यूशन फी, एलाईसी (LIC), पीपीएफ (PPF), म्यूचुअल फंड (ELSS), ईपीएफ (EPF) या होमलोन का प्रिंसिपल अमाउंट क्लेम किया जा सकता है. इस तरह टैक्सेबल इनकम घटकर 7 लाख रुपये रह गई।
4. इनकम टैक्स के सेक्शन 24B के तहत होम लोन के ब्याज पर दो लाख रुपये की छूट मिलती है। अब इसे घटाने पर टैक्सेबल इनकम घटकर 5 लाख रुपये रह गई। पांच लाख रुपये की इनकम पर 12,500 रुपये टैक्स बनता है। लेकिन आयकर विभाग सेक्शन 87A के तहत इसमें छूट देता है।
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टैक्स सेविंग के और भी विकल्प
अगर आपकी सैलरी और ज्यादा है तो इनकम टैक्स शून्य (0) करने के लिए 80CCD (1B) के तहत एनपीएस (NPS) में 50 हजार रुपये का निवेश करना होगा। इसके अलावा सेक्शन 80D के तहत आप बच्चे-पत्नी और माता-पिता के हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम क्लेम कर सकते हैं। बच्चे और पत्नी के लिए 25 हजार रुपये तक का प्रीमियम क्लेम किया जा सकता है। माता-पिता के लिए आप अलग से 25000 रुपये क्लेम कर सकते हैं। यदि आपके माता-पिता सीनियर सिटीजन हैं तो प्रीमियम के तौर पर 50000 रुपये क्लेम कर सकते हैं।