Madurai Rail Accident : मदुरै ट्रेन हादसे के घायलों ने सुनाई दर्दनाक दास्तान, कहा-हम सो रहे थे, अचानक चिल्लाने की आवाजें आने लगी और…
Madurai Rail Accident : तमिलनाडु के मदुरै रेलवे स्टेशन (Madurai Rail Accident) में शनिवार को ट्रेन कोच में आग लगने से लखनऊ, हरदाई, सीतापुर और लखीमपुर के 10 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग घायल हुए थे. घटना के बाद से मृतक के परिजनों को रो-रोकर बुरा हाल है. वहीं, मदुरै रेल अग्निकांड में घायल लखीमपुर, सीतापुर, हरदोई, अयोध्या ,शाहजहांपुर और लखनऊ के 42 लोग रविवार रात लौट आए. इन लोगों को लखनऊ एयरपोर्ट से उनके गंतव्य जिलों तक छोड़ने के लिए जिला प्रशासन ने वाहनों की व्यवस्था की.
इन लौटे लोगों में लखनऊ की सीता सिंह, रेनू बक्शी, सीतापुर की सुशीला सिंह, नीरज कुमार मिश्रा, सरोजनी मिश्रा, रजत रेखा, धीरज गुप्ता, आनंद प्रकाश त्रिपाठी, स्वेधान शुक्ला और अयोध्या के देव नारायन श्रीवास्तव व जानकी देवी शामिल हैं.
यात्रियों ने बयां किया खौफनाक मंजर
मदुरै ट्रेन हादसे के चश्मदीद रविवार को चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पहुंचे, तो घटना बताते हुए रो पड़े. उन्होंने कहा कि सुबह आंख खुली तो आग के रूप में मौत नजर आई. लखीमपुर-खीरी की रहने वाली कमला देवी वर्मा ने बताया कि हम सो रहे थे, सुबह सवा पांच बजे का समय था और डिब्बे के दरवाजे खिड़कियां अंदर से बंद थे. कोच में धुआं और आग फैलने लगी तो हम लोग दरवाजे की ओर भागे. हम तो बच गए, लेकिन साथ लाया सारा सामान जलकर राख हो गया.
सीतापुर की सुशीला सिंह ने बताया कि वह बीच वाली सीट पर थी. आग लगी तो हम दरवाजे के पास पहुंचे. दरवाजा लॉक था और खुल नहीं रहा था. लोग घबरा गए, लेकिन फिर किसी तरह दरवाजा खोलकर बाहर निकले. करीब तीन फिट ऊॅचाई से कूदने पर काफी चोटें आई है.
सीतापुर के शिवप्रताप सिंह चौहान ने बताया कि उनके कोच के अंदर काफी धुआं और आग थी. किसी तरह चार लोगों को लाद कर बाहर निकाल लिया, लेकिन अपनी पत्नी मिथिलेश कुमारी और बहनोई शत्रुदमन सिंह को नहीं निकाल पाए. इस हादसे में दोनों की मौत हो गई. गोमतीनगर में रहने वाली सीता सिंह ने बताया कि उनकी आँख खुली तो डिब्बे में अंधरे के साथ आग की लपटें उठ रही थी. हम लोग सारा सामान छोडकर वहां से भागे तो गेट में ताला पड़ा था. हमारे साथ मौजूद एक व्यक्ति ने वहीं रखी लोहे की राड से ताला तोड दिया और हम लोग कूद कर नीचे आए. इसके चंद मिनट बाद ही गैस सिलेण्डर फट गया. तब हमारी ट्रेन के बगल में खड़ी दूसरी ट्रेन में भी आग लग गई.
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हरदोई की रहने वाली किरन गुप्ता ने बताया कि काफी तेजी से धुआं आया और देखते ही देखते अंधेरा हो गया. डिब्बे के अन्दर कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. किसी तरह दरवाजे पर पहुंची और जान बचाने के लिए नीचे कूद गई. लोगों के बीच चीख पुकार मची थी.
ट्रेन हादसे के चश्मदीद राम मनोहर वर्मा ने बताया कि हम सो रहे थे. जैसे ही हमने चीखें सुनीं तो बाहर भागने की कोशिश की. लेकिन दरवाजा बंद था. मैं ठीक से सांस भी नहीं ले पा रहा था. अंदर बस भगवान का नाम ले रहा था. उसी वक्त किसी ने ताला तोड़ दिया और हम बाहर आए. इसके 15-20 मिनट बाद रेलवे कर्मचारी वहां पहुंचे और आग बुझाने की कोशिश करने लगे.