November 21, 2024, 6:42 pm

Patal Bhuvaneshwar Temple: उत्तराखंड के इस मंदिर में छिपा है दुनिया के खत्म होने का राज, गुफा में है 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास

Written By: गली न्यूज

Published On: Friday August 11, 2023

Patal Bhuvaneshwar Temple: उत्तराखंड के इस मंदिर में छिपा है दुनिया के खत्म होने का राज, गुफा में है 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास

Patal Bhuvaneshwar Temple: उत्तराखंड में अनेकों ऐसी गुफाएं मौजूद हैं, जो लोगों के लिए आज भी हैरानी का विषय बनी हुई हैं. इन्हीं में से एक है पिथौरागढ़ में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर (Patal Bhuvaneshwar Temple). जिसका जिक्र पुराणों में भी किया गया है. माना जाता है कि इस मंदिर में दुनिया खत्म होने का एक रहस्य छिपा हुआ है. ये मंदिर रहस्य और सुंदरता का बेजोड़ मेल है. चलिए जानते है इस मंदिर से जुड़ी कूछ दिलचस्प बातों के बारे में-

गुफा में है पाताल भुवनेश्वर मंदिर

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर को लेकर काफी मान्यताएं है. इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए गुफा में जाना पड़ता है, जो समुद्र तल से करीब 90 फीट गहरी है. यह गुफा प्रवेश द्वार से 160 मीटर लंबी है. माना जाता है कि इस मंदिर में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है.

क्या-क्या मौजूद है पाताल भुवनेश्वर गुफा के अंदर?

इस गुफा की ओर जाती हुई पतली सुरंग में अनेक चट्टानों के साथ ही विभिन्न भगवानों की जटिल छवियां बनी हुई है. इसके साथ ही यहां पर नागों के राजा अधिशेष की कलाकृतियां भी देखने को मिलती है.

पाताल भुवनेश्वर की खोज कैसे हुई ?

इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि सूर्य वंश के राजा और त्रेता युग में अयोध्या पर शासन करने वाले राजा ऋतुपर्णा ने इस गुफा की खोज की थी, जिसके बाद उन्हें यहां नागों के राजा अधिशेष मिले थे. ऐसा कहा जाता है कि इंसानों द्वारा मंदिर की खोज करने वाले राजा ऋतुपर्णा पहले व्यक्ति थे, अधिशेष ऋतुपर्णा को गुफा के अंदर ले गए, जहां उन्हें देवी देवताओं के साथ-साथ भगवान शिव के दर्शन करने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ. ऐसा कहा जाता है कि फिर उसके बाद इस गुफा की चर्चा नहीं हुई और फिर द्वापर युग में पांडवों द्वारा इस गुफा को फिर से ढूंढ लिया गया. जहां वे इस गुफा के पास भगवान की पूजा करते थे. एक उल्लेख है कि खुद महादेव शिव पाताल भुवनेश्वर में रहते हैं और अन्य देवी-देवता उनकी यहां पूजा करने आते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार कलियुग में मंदिर की खोज जगदगुरु आदि शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में की थी, जहां उन्होंने यहां तांबे का शिवलिंग स्थापित किया था.

इस मंदिर में जाने से पहले मेजर समीर कटवाल के मेमोरियल से होकर जाना पड़ता है. कुछ दूरी तक चलने के बाद ग्रिल गेट आपको दिखेगा, जहां से पाताल भुवनेश्वर मंदिर की शुरुआत होती है. ये गुफा 90 फीट नीचे है, जहां बेहद ही पतले रास्ते से होकर इस मंदिर तक प्रवेश किया जाता है. जब आप थोड़ा आगे चलेंगे तो आपको यहां की चट्टानों की कलाकृति हाथी जैसी दिखाई देगी. फिर से आपको चट्टानों की कलाकृति देखने को मिलेगी जो नागों के राजा अधिशेष को दर्शाती हैं. ऐसा कहा जाता है कि अधिशेष ने अपने सिर पर दुनिया का भार संभाला हुआ है. पौराणिक कथाओं के आधार पर इस मंदिर में चार द्वार मौजूद हैं, जो रणद्वार, पापद्वार, धर्मद्वार और मोक्षद्वार के नाम से जाने जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जब रावण की मृत्यु हुई थी तब पापद्वार बंद हो गया था. इसके बाद कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद रणद्वार को भी बंद कर दिया गया था.

ये भी पढ़ें-

CM Pinarayi Vijayan: केरल का नाम बदलने को लेकर विधानसभा में प्रस्ताव पास, जानें क्या है वजह

पाताल भुवनेश्वर मंदिर में मौजूद है चार द्वार

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पाताल भुवनेश्वर गुफा में चार द्वार मौजूद है. जिनका नाम और द्वार, पाप द्वार, धर्म द्वार और मोक्ष द्वार है. माना जाता है कि जब रावण की मृत्यु हुई थी तब पापद्वार बंद हो गया था। इसके बाद महाभारत के युद्ध के बाद रणद्वार बंद हो गया था.

पाताल भुवनेश्वर मंदिर में और क्या है खास?

बता दें कि, ऐसी मान्यता है कि मंदिर में भगवान गणेश के कटे हुए सिर को स्थापित किया गया है. यहां मौजूद गणेश मूर्ती को आदिगणेश कहा जाता है. इस गुफा में चार खंबे हैं जो युगों – सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग को दर्शाते हैं. इनमें पहले तीन आकारों के खंबों में कोई परिवर्तन नहीं होता, लेकिन कलियुग का खंबा लंबाई में ज्यादा है. इस गुफा को लेकर एक और खास बात ये भी है कि यहां एक शिवलिंग है जो लगातार बढ़ रहा है, ऐसी मान्यता है कि जब ये शिवलिंग गुफा की छत को छू लेगा, तब दुनिया खत्म हो जाएगा. गुफा में एक साथ चार धामों के दर्शन भी किए जा सकते हैं. ऐसी मान्यता है कि गुफा में एक साथ केदारनाथ, बद्रीनाथ, अमरनाथ देखे जा सकते हैं. बताया जाता है कि इस गुफा में मौजूद पत्थर से पता लग सकता है कि दुनिया का अंत कब होगा.

अगर आप रोमांच और धार्मिक प्रेमी हैं, तो अच्छा होगा आप इस मंदिर के दर्शन एक सही समय में करें. उत्तराखंड में इस रहस्यमयी गुफा की यात्रा करने के लिए मानसून का समय बिल्कुल भी सही नहीं है, आप यहां मार्च से जून के बीच दर्शन करने के लिए जा सकते हैं. अगर आपको ठंड में घूमना बेहद पसंद है तो ठंड में आप अक्टूबर से फरवरी के महीने में भी जा सकते हैं.

सड़क के रास्ते यहां तक कैसे पहुंचे

ये जगह हर जगह से अच्छी तरह से जुड़ी हुई है, जहां आप आसानी से पहुंच सकते हैं. यह नई दिल्ली, लखनऊ और कोलकाता जैसे प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डे से टैक्सी और बसें आसानी से उपलब्ध हैं.

हवाई जहाज के रास्ते कैसे पहुंचे

टनकपुर में बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं. हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है, जो पाताल भुवनेश्वर से 224 किमी दूर है.

Leave a Reply

Your email address will not be published.