November 22, 2024, 5:04 am

मासूमों की जान नहीं, काम भी नहीं, सिर्फ पैसे का बोलबाला और सुरक्षा का किया बिल्डरों ने मुंह काला

Written By: गली न्यूज

Published On: Wednesday March 16, 2022

मासूमों की जान नहीं, काम भी नहीं, सिर्फ पैसे का बोलबाला और सुरक्षा का किया बिल्डरों ने मुंह काला

Noida: मासूमों की लाशों पर अपना महल बनाना आज-कल बड़े और पैसे वाले लोगों की आदत बना गई है। जहां देखो नई इमारतें बन रही है लेकिन उन इमारतों को उस मजबूती से नहीं बनाया जा रहा जितनी मजबूती से घरों को बेचा जाता है और गारंटी दी जाती है कि इस घर में आप और आपका परिवार हमेशा खुश रहेगा।

नोएडा के हाईराइज इमारतों को बनाने वाले बिल्डर पैसे बचाने के लिए बालकनी की रेलिंग को ऊंचा नहीं करते। यही रेलिंग नोएडा और गाजियाबाद में हादसे की वजह बनती जा रही हैं। कभी खेल-खेल में बच्चे इमारतों से नीचे गिर रहे हैं तो कभी किसी का पैर फिसलने से हादसा हो रहा है।

इसमें बिल्डर की नहीं, तो और किसी कि गलती है। प्लान बनते समय तो एफएआर, कॉमन एरिया और स्ट्रक्चरल ऑडिट, पार्किंग, सभी का ध्यान रखा जाता है। साथ ही,सभी सुरक्षा मानकों में खुद बेस्ट बताते है लेकिन जब इमारत बनकर तैयार होती है तो सारी बाते हवा हो जाती है।
 

3 फीट होनी चाहिए बालकनी की रेलिंग

नोएडा प्राधिकरण बिल्डिंग बॉयलाज के तहत हाईराइज इमारतों की बालकनी में कम से कम 3 फीट या एक मीटर की रेलिंग होनी ही चाहिए। लेकिन बिल्डरों ने 2.5 फीट और 3 फीट की रेलिंग ही बनाते आ रहे हैं। जिसकी वजह से हर रेलिंग पर 120 से 140 रुपए बचते है।

लापरवाही से हुए हादसे

इस साल 3 महीनों में ही गौतम बुद्ध नगर में कुल 121 लोगों ने आत्महत्या की। 71 लोगों की हाईराइज सोसायटी से कूदकर या पैर फिसलने से मौत हुई। बाकी मौत फांसी का फंदा लगाने से हुई।

एक नजर में सोसायटी पर

लगभग 3,000 हाईराइज इमारतें बनाई गई है। सिर्फ नोएडा की बात की जाए तो यहां 400 सोसायटी हैं। 95 के करीब गगनचुंबी इमारतें हैं। 73 हजार फ्लैट हैं, जिनमें 3 लाख लोग रहते हैं। आप समझ सकते है कि इतनी इमारतों में कितना पैसे बिल्डरों ने कमाया होगा।

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