September 20, 2024, 4:05 am

Pitra Paksha 2024 :- आज से शुरू हो रहे पितृ पक्ष, जानिए किस तरह से किया जाता है पितरों का श्राद्ध

Written By: गली न्यूज

Published On: Wednesday September 18, 2024

Pitra Paksha 2024 :- आज से शुरू हो रहे पितृ पक्ष, जानिए किस तरह से किया जाता है पितरों का श्राद्ध

Pitra Paksha 2024 :- पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने के लिए पितृपक्ष को उत्तम माना जाता है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष से शुरू होकर सर्वपितृ अमावस्या तक की तिथि को पितृपक्ष कहा जाता है। पितृपक्ष की हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक मान्यता होती है। माना जाता है कि पितृपक्ष में पितरों की पूजा-आराधना करने पर पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पितृ पक्ष को श्राद्ध भी कहा जाता है और इन दिनों में पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है।

जानिए क्या है पितृपक्ष या श्राद्ध पक्ष- 

पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर सर्वपितृ अमावस्या तक के समय को पितृपक्ष या श्राद्ध पक्ष (Shraddh Paksh) कहा जाता है। इस साल पितृ पक्ष की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 17 सितंबर से हो चुका है परंतु श्राद्ध की प्रतिपदा तिथि को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है जिस चलते पहला श्राद्ध 18 सितंबर, बुधवार से माना जा रहा है।

जानिए पहले श्राद्ध पर किस तरह किया जा सकता है पितरों का श्राद्ध:- 

पहले श्राद्ध पर 18 सितंबर के दिन कुतुप मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। इसके पश्चात रौहिण मुहूर्त दोपहर 12 बजे से शुरू होकर दोपहर 1 बजकर 28 मिनट तक रहने वाला है। अगला अपराह्न का मूहूर्त दोपहर 1 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर दोपहर 3 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।

श्राद्ध के दिनों में पितरों की तस्वीर के समक्ष रोजाना नियमित रूप से जल अर्पित करना शुभ माना जाता है। तर्पण (Tarpan) करने के लिए सूर्योदय से पहले जूड़ी लेकर पीपल के वृक्ष के नीचे स्थापित की जाती है। इसके बाद लोटे में थोड़ा गंगाजल, सादा जल और दूध लेकर उसमें बूरा, जौ और काले तिल डाले जाते हैं और कुशी की जूड़ी पर 108 बार जल चढ़ाया जाता है। जब भी चम्मच से जल चढ़ाया जा रहा हो तब-तब मंत्रों को बोलें।

श्राद्ध का महत्व :-

धर्मशास्त्रों में उल्लेखित मर्यादाओं के अनुसार मनुष्य जन्म लेते ही ऋषि ऋण, देव ऋण और पितृ ऋण से ऋणी बन जाता है। ब्रह्म पुराण के अनुसार पितरों का ऋण श्राद्ध द्वारा चुकाया जाता है।

श्राद्ध कितने प्रकार के होते हैं :-

पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि धर्मशास्त्र निर्णय सिन्धु में 12 प्रकार के श्राद्ध बतलाए गए हैं। नित्ययाद नैमित्तिकश्राद्ध, काम्य श्राद्ध, वृद्धिवाद सग्निश्राद्ध, पार्वणश्राद्ध, गोष्ठी श्राद्ध, शुद्धर्थ श्राद्ध तीर्थश्राद्ध, यात्रार्थ श्राद्ध और पुष्ट्यर्थ श्राद्ध. किराडू कहते हैं कि वर्ष भर में श्राद्ध दो बार आता है। एक व्यक्ति की मृत्यु तिथि पर, जिसे पद्म पुराण आदि में एकोपदिष्ट श्राद्ध कहते हैं। दूसरा श्राद्ध पितृ पक्ष में आता है, जिसे पार्वण श्राद्ध कहते हैं।

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