Noida News: इस वजह से 40 हजार फ्लैट खरीदारों के सपने नहीं हो पाएंगे साकार
Noida News: नोएडा से फ्लैट्स की खरीददारी से जुड़ी एक बड़ी खबर है। नोएडा में 40 हजार फ्लैट एनसीएलटी और स्पोर्ट्स सिटी परियोजना में फंसे हैं। जिसमें यूपी कैबिनेट की प्रस्तावित योजना से भी राहत नहीं मिल पाएगी। इसी वजह से 40 हजार फ्लैट्स के खरीदारों के सपनों को उड़ान नहीं मिल पा रही है।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक नोएडा में शहर के 40 हजार फ्लैट खरीदारों के सपनों को अभी उड़ान नहीं मिल पाएगी। ऐसे खरीदार नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) और स्पोर्ट्स सिटी के भंवर में फंसे हुए हैं। इनकी परेशानी का खात्मा इतनी जल्दी होने की उम्मीद भी बेहद कम है। खास बात यह कि नीति आयोग के पूर्व सीईओ और समिति के अध्यक्ष अमिताभ कांत की सिफारिशों के बाद यूपी कैबिनेट की ओर से दिए गए लाभ का फायदा भी इन फ्लैट खरीदारों को नहीं मिलेगा।
दरअसल, यूपी कैबिनेट की ओर से 2.4 लाख फ्लैट खरीदारों को राहत देने के लिए जीरो पीरियड की छूट की घोषणा की गई। इसके अलावा एनजीटी की ओर से बंद कराए गए निर्माण कार्य की अवधि को भी जीरो पीरियड घोषित किया गया है। बिल्डरों को समय विस्तार का भी लाभ दिया जा रहा है। यह सभी लाभ केवल 57 परियोजनाओं के लिए है। बाकी परियोजनाओं को इसका लाभ नहीं मिलेगा, क्योंकि ऐसी परियोजनाएं तकनीकी रूप से फंसी हैं।
एनसीएलटी में फंसे हैं 17 प्रोजेक्ट
एनसीएलटी में 17 प्रोजेक्ट फंसे हुए हैं। इन परियोजनाओं में करीब 25 हजार ऐसे फ्लैट खरीदार हैं, जिनके पास कोर्ट के फैसले तक इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं है। कोर्ट की ओर से नीलामी होने या फिर किसी को-डेवलपर के माध्यम से परियोजना का काम पूरा करने के फैसले के बाद ही ऐसे फ्लैट खरीदारों का सपना पूरा हो पाएगा। वर्तमान समय में प्राधिकरण के पास ऐसी कोई सूचना नहीं है, जिसमें फ्लैट खरीदारों को राहत दिलाने के लिए किसी याचिकाकर्ता ने केस वापस लेने का विचार बनाया हो। अगर ऐसा नहीं होता है तो इन खरीदारों के लिए यह निराशा का समय होगा।
स्पोर्ट्स सिटी में फंसे हैं 15 हजार फ्लैट खरीदार
स्पोर्ट्स सिटी परियोजना में जमीनों के विभाजन के बाद मालिक बनकर ऊंची इमारत तैयार करने वाले बिल्डर खुद तो फंसे ही हैं, साथ ही फ्लैट खरीदारों को भी फंसा दिया है। इस परियोजना में जब तक बिल्डर खेल सुविधाओं का विकास नहीं कर लेते, तब तक उनको ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) नहीं मिलेगी। बिना ओसी और बकाया भुगतान के ऐसे खरीदारों की रजिस्ट्री भी नहीं हो पाएगी। वर्तमान समय में स्पोर्ट्स सिटी मामले में लोकलेखा समिति की सुनवाई चल रही है। सुनवाई में इस परियोजना का स्वरूप बिगाड़ने वाले बिल्डरों पर आरोप तय होना है। इसके अलावा प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों को भी किसी न किसी रूप में दंड मिलेगा। इस परियोजना में पहले चार बिल्डरों को जमीन का आवंटन सेक्टर-78, 79, 150, 152 में किया गया था। लेकिन इन बिल्डरों ने जमीनों का विभाजन कर करीब 45 डेवलपर्स को जमीन बेच दी। अधिकांश बिल्डरों ने रिहाइशी इमारतें तो बना दीं, लेकिन खेल सुविधाएं नहीं विकसित की। ऐसे में यहां तकनीकी पेच फंस गया।
अलग-अलग कोर्ट में हैं 10 हजार फ्लैट खरीदारों के मामले
अलग-अलग कोर्ट में करीब 10 हजार फ्लैट खरीदारों के मामले हैं। अगर यह केस वापस लिया जाता है तो बिल्डरों को यूपी कैबिनेट की सिफारिश की सुविधाएं मिल पाएंगी। लेकिन अभी प्राधिकरण के पास ऐसी कोई सूचना नहीं है कि कोर्ट के मैटर वाले किसी प्रोजेक्ट से केस वापस लिया जा रहा है। ऐसे में योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा।
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बिल्डर-खरीदार आंकड़ा: नोएडा
- 28 हजार करोड़ बकाया, नोएडा में बिल्डरों पर
- 169250 यूनिट नोएडा में मंजूर किए गए
- 65277 रजिस्ट्री नोएडा में हो चुकी है।