नोएडा- केपटाउन सोसाइटी में मेंटनेंस नोटिस का विरोध, गेस्ट व्हीकल की एंट्री को लेकर गुस्से में निवासी
नोएडा के सेक्टर 74 स्थित केपटाउन सोसाइटी में गेस्ट व्हीकल की एंट्री का मुद्दा गरमा गया है। मेंटनेंस एजेंस Estate की ओर से इस बारे में एक नोटिस मेन गेट पर चस्पा की गई है। जिसका निवासियों ने विरोध शुरु कर दिया है। इस नोटिस के मुताबिक गेस्ट व्हीकल को सोसाइटी में केवल 2 घंटे तक ही रखने की इजाजत होगी। हालांकि इसके साथ सिक्योरिटी हेड से इजाजत के टर्म्स और कंडीशन भी रखे गए हैं। यानी कुछ परिस्थितियों में इस 2 घंटे के निर्धारित समय को बढ़ाने की भी बात कही गई है। अब जब नोटिस लगाया गया है तो रेजिडेंट्स इसके खिलाफ हैं। सोसाइटी में रहने वाले कुछ रेजिडेंट्स ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है। इन लोगों का आरोप है कि सोसाइटी में मेंटनेंस टीम कभी कभी मनमानी करती है और इस तरह की मनमानी मेंटनेंस एजेंसी की तानाशाही है। ऐसी तानाशाही को चलने नहीं दिया जाएगा। नवीन दुबे का कहना है कि ‘किसी के यहां कोई गेस्ट कितने समय तक रहेगा यह मेंटनेंस और सिक्योरिटी एजेंसी तय नहीं करेगी। यह बदमाशी है और इस तानाशाही का विरोध किया जाएगा ।
‘यह फैसला मेंटनेंस एजेंसी की तानाशाही को दिखाता है, स्वीकार्य नहीं है’- नवीन दुबे
सोसाइटी के ही रहने वाले नीरज शर्मा का कहना है कि ‘कोरोना के कारण वैसे ही आवाजाही पिछले दो साल से ज्यादा समय से बंद है अब जब परिस्थितियां बदली हैं तो लोगों की आवाजाही शुरु हुई है उस पर से मेंटनेंस का यह नोटिस बताता है कि एजेंस कितनी असंवेदनशील है’
http://gulynews.com ने इस बारे में मेंटेनेंस एजेंसी के चीफ एस्टेट मैनेजर अरुण चौहान से जब बात की तो उनकी दलील है कि सोसाइटी में 4 हजार से ज्यादा फ्लैट हैं। ऐसे में अगर 10 फीसदी लोगों के यहां भी गेस्ट आते हैं तो गाड़ियों की संख्या 400 से भी ज्यादा हो जाएगी। इतनी बड़ी संख्या में पार्किंग की जगह सोसाइटी के अंदर मौजूद नहीं है। साथ ही छुट्टी के दिन या फिर वीकेंड पर गेस्ट व्हीकल की बाढ़ आ जाती है। इस समस्या से निपटने के लिए यह नोटिस लगया गया है। साथ ही कुछ लोगों के पास दो या उससे ज्यादा गाड़ियां हैं, उनमें से कुछ लोग गेस्ट व्हीकल के नाम पर गाड़ियों की एंट्री करते हैं और सोसाइटी में रखते है। ऐसी गाड़ियों को रोकने के लिए इस तरह के नोटिस लगाए गए हैं।
नए नोटिस के नाम पर सोसाइटी में बवाल मच गया है। मेंटेनेंस एजेंस Estate के अपने दावे और दलील हैं जबकि रेजिडेंट्स के अपने अनुभव हैं। रेजिडेंट्स के विरोध के बाद यह मुद्दा गरमा गया है। देखने वाली बात यह है कि क्या मेंटनेंस एजेंस दवाब में आकर इस नोटिस को वापस लेती है या नहीं।