Bageshwar Sarkar Unseen Photos: यारों के यार बागेश्वर सरकार, कुछ साल पहले ऐसे दिखते थे धीरेंद्र शास्त्री, देखिए उनकी अनदेखी तस्वीरें
Bageshwar Sarkar Unseen Photos: अक्सर विवादों में रहने वाले बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों सुर्खियों में छाए हुए हैं. हाल ही में उनका नाम चर्चा में तब आया जब नागपुर स्थित एक अंधविश्वास विरोधी संगठन ने उनकी चमत्कारी शक्ति को चुनौती दी. जिसके बाद से बागेश्वर सरकार के बयान सुर्खियों में बने हुए हैं. बता दें कि, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) का बचपन काफी गरीबी में बीता है.
गरीबी में बीता बचपन
4 जुलाई 1996 में छतरपुर जिले के गढ़ा गांव में पैदा हुए धीरेंद्र शास्त्री का बचपन बेहद गरीबी में बीता है. उनके पिता को मिले दान दक्षिणा से ही घर का खर्च चलता था. पिता उन्हें पढ़ाई के लिए वृंदावन नहीं भेज पाए क्योंकि उनके पास एक हजार रुपये नहीं थे.
2009 में पहली बार की कथा
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की बचपन से ही धर्म में रुचि थी. उनके दादा भगवानदास गर्ग एक सिद्ध संत थे. वे भी दरबार लगाते थे. उन्होंने ही धीरेंद्र शास्त्री को शुरुआती धार्मिक ज्ञान दिया था. वह गांव में ही शुरुआत में कथा सुनाने लगे. 2009 में उन्होंने गढ़ा के पास पहरा के खुडन गांव में कथावाचक के रूप में पहली बार कथा सुनाई थी. इसके बाद आसपास के गांवों में वे मशहूर होने लगे.
2016 में बना बागेश्वर धाम
धीरेंद्र शास्त्री ने कथा वाचन के लिए गढ़ा गांव में स्थित भगवान शंकर के प्राचीन मंदिर को अपना स्थान बनाया. धीरे-धीरे यह बागेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध होने लगा. साल 2016 में गांव के लोगों ने यहां विशाल यज्ञ का आयोजन किया. तभी बालाजी की विशाल प्रतिमा भी स्थापित की गई. इसके बाद से यह स्थान बागेश्वर धाम हो गया. धीरेंद्र शास्त्री के दादा की समाधि भी यहां है.
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यारों के यार हैं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
बागेश्वर धाम के महाराज अब भी अपने बचपन के दोस्तों को नहीं भूले. वे अपनी कथाओं में अक्सर एक मुस्लिम दोस्त की चर्चा करते हैं. उनके एक और अभिन्न मित्र हैं जिनका नाम रिक्की है. वे अब भी अपने दोस्तों से नियमित संपर्क में रहते हैं.
कभी टोपी पहनकर तो कभी होटल में आए नजर
कथा सुनाने के दौरान मराठी पगड़ी पहने धीरेंद्र शास्त्री बचपन में हैट पहनने के शौकीन थे. हैट पहने उनकी कई तस्वीरें भी हैं. दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करने में भी वे पीछे नहीं रहते थे. घूमना-फिरना भी उन्हें बचपन से ही पसंद है.