April 23, 2024, 4:06 pm

सोयाबीन की कीमतों में भारी गिरावट की आशंका, 750 रुपये गिर सकता है भाव

Written By: गली न्यूज

Published On: Wednesday July 6, 2022

सोयाबीन की कीमतों में भारी गिरावट की आशंका, 750 रुपये गिर सकता है भाव

Soybean prices fall: आने वाले समय में सोयाबीन (Soybean) के दाम लुढ़ककर 5,500 रुपये प्रति क्विंटल तक आ सकता है. यानी मौजूदा दाम 6,250 रुपये से कीमतों में 750 रुपये की गिरावट आने की आशंका है. बता दें कि, इंदौर में सोयाबीन के दाम गिरकर 4 महीने के निचले स्तर पर एक बार फिर आ गया है. ओरिगो कमोडिटीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट राजीव यादव के मुताबिक प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों में भारी बारिश की वजह से सोयाबीन की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है. उनका कहना है कि शॉर्ट टर्म में सोयाबीन का भाव 6,000 रुपये-6,600 रुपये के दायरे में रहेगा, लेकिन जल्द ही भाव लुढ़ककर 6,000 रुपये और फिर उसके नीचे 5,500 रुपये तक गिर सकता है.

सोयाबीन में क्यों आ रही है गिरावट

गौरतलब है कि पिछले 1 हफ्ते में इंदौर में सोयाबीन की कीमतों में 6,550 रुपये-6,000 रुपये के दायरे में कारोबार होते हुए देखा गया था, लेकिन कीमतों में आई मजबूती कायम नहीं रह सकी और भाव एक बार फिर 6,550 रुपये की ऊंचाई से लुढ़क गया था. राजीव कहते हैं कि सोयाबीन के रुझान में तभी बदलाव आएगा, जब भाव टीआरपी यानी ट्रेंड रिवर्सल प्वाइंट 6,750 के ऊपर कारोबार करने लग जाएगा. उनका कहना है कि वैश्विक बाजार में खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट जारी है. विदेशी बाजार में बीते एक हफ्ते में सीपीओ में तकरीबन 28 फीसदी की गिरावट आ चुकी है और भाव फिलहाल 1 साल के निचले स्तर पर है और इसमें गिरावट रुकने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. उनका कहना है कि भाव 3,000-3,200 मलेशिया रिंगिट प्रति टन तक आ सकता है और इन स्तर पर भाव ठहर सकता है.

राजीव यादव का कहना है कि क्रूड सोयाबीन ऑयल और सूरजमुखी ऑयल पर आयात शुल्क को खत्म करने, इंडोनेशिया और मलेशिया से सीपीओ और पामोलीन की ज्यादा सप्लाई की उम्मीद, मिलर्स और स्टॉकिस्ट की ओर से सोयाबीन और सरसों की कमजोर मांग और सूरजमुखी ऑयल के आयात में बढ़ोतरी सोयाबीन की कीमतों में गिरावट के प्रमुख कारण के तौर पर निकलकर सामने आ रहे हैं

राजीव कहते हैं कि नई फसल-सोयाबीन सीबीओटी नवंबर वायदा का भाव निचले स्तर पर सीमित दायरे की सीमा 15.50 डॉलर-17.50 डॉलर प्रति बुशेल को तोड़ चुका है और भाव ने 6 महीने के निचले स्तर 13.24 डॉलर को छू लिया था. हालिया रिलीफ रैली में नई फसल-सोयाबीन सीबीओटी नवंबर वायदा के भाव ने 15 के ऊपर में हमारे द्वारा दिए गए लेवल के ऊपर टॉप बनाया था. हालांकि वहां से कीमतों में गिरावट आ चुकी है. मौजूदा करेक्शन में भाव पहले 12.50 और उसके बाद 12 डॉलर प्रति बुशेल तक लुढ़क सकता है.

भारत से सोयामील का निर्यात 64 फीसदी से ज्यादा गिरा

मई 2022 में सोयामील का निर्यात सालाना आधार पर 64.4 फीसदी की गिरावट के साथ 18,634 टन दर्ज किया गया था, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा 52,434 टन था. वहीं अप्रैल 2022 के 40,000 टन की तुलना में निर्यात में मासिक आधार पर 53 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. अप्रैल-मई की अवधि के लिए कुल निर्यात 52 फीसदी की गिरावट के साथ 43,899 टन दर्ज किया था, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा 92,139 टन था.

गौरतलब है कि सरकार ने सालाना 20-20 लाख टन क्रूड सोयाबीन ऑयल और सूरजमुखी तेल के आयात पर सीमा शुल्क और कृषि अवसंरचना उपकर को मार्च 2024 तक खत्म कर दिया है. वित्त मंत्रालय की ओर जारी अधिसूचना के अनुसार सालाना 20 लाख टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में आयात शुल्क नहीं लगाया जाएगा. इस निर्णय के साथ 5 फीसदी प्रभावी सीमा शुल्क और उपकर को शून्य कर दिया जाएगा और वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में कुल 80 लाख टन क्रूड सोयाबीन ऑयल और क्रूड सूरजमुखी तेल के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी जाएगी. निर्यात प्रतिबंध हटाने के इंडोनेशिया के हाल के फैसले के साथ ही केंद्र सरकार के ताजा फैसले से इस महीने शॉर्ट टर्म करेक्शन के मोड में चल रहे खाद्य तेलों की कीमतों में और गिरावट की आशंका है.

मध्यप्रदेश में सोयाबीन की बुआई 70 फीसदी आगे

राजीव यादव का कहना है कि देश में सोयाबीन की बुआई बढ़ने और मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र में व्यापक बारिश के बीच अनुकूल बुआई की संभावना से कीमतों पर दबाव बना रहेगा. कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक किसानों ने चालू खरीफ सीजन में शुक्रवार (1 जुलाई 2022) तक 30.52 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की है, जो कि एक साल पहले के 30.29 लाख हेक्टेयर की तुलना में 1 फीसदी ज्यादा है. देश के दूसरे सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में सोयाबीन की बुआई ने रफ्तार पकड़ ली है और पिछले साल की समान अवधि की तुलना में पिछले हफ्ते तक बुआई में आई 89 फीसदी की गिरावट के मुकाबले 1 जुलाई तक रकबा सिर्फ 8 फीसदी पीछे रह गया है. सबसे बड़े उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में पिछले साल की तुलना में अभी तक बुआई 70 फीसदी आगे चल रही है.

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