Noida News:– नोएडा में बिल्डरों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए अमिताभकांत समिति होगी लागू…
Noida News:– नोएडा में बिल्डरों की मनमानी पर जल्द ही लगाम लगाई जा सकती है, क्योंकि केंद्र सरकार ने अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों को लागू करने का फैसला किया है। यह समिति नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे क्षेत्रों में बिल्डरों द्वारा की जा रही अनियमितताओं और खरीदारों के साथ हो रही धोखाधड़ी पर नजर रखने के लिए बनाई गई थी। समिति ने कई अहम सुझाव दिए हैं, जिनका मकसद रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ाना, होमबायर्स के हितों की रक्षा करना और बिल्डरों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करना है। सिफारिशों में बिल्डरों को समय पर परियोजनाएं पूरा करने, प्रोजेक्ट की कीमतों में पारदर्शिता बनाए रखने और फ्लैट खरीदारों को उनके हक के अनुसार समय पर कब्जा दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं।
सिफारिशों का पालन न करने पर होगी कड़ी कार्रवाई …
अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों का पालन न करने पर बिल्डरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों के अनुसार, समिति की सिफारिशों के तहत तीनों प्राधिकरण क्षेत्रों (नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण) में कुल 161 प्रोजेक्ट शामिल हैं, जिनमें से अब तक केवल 93 बिल्डरों ने बकाया राशि जमा करने पर सहमति जताई है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में 98 प्रोजेक्ट हैं, जिनमें से 66 बिल्डरों ने अब तक 429 करोड़ रुपये जमा किए हैं, और अगले वर्ष तक 965 करोड़ रुपये और जमा करने की योजना है। नोएडा प्राधिकरण के 57 प्रोजेक्ट में से 22 बिल्डरों ने 304.35 करोड़ रुपये जमा कर दिए हैं और उन्हें अगले वर्ष तक 903.99 करोड़ रुपये जमा करने हैं। वहीं, यमुना प्राधिकरण के 6 प्रोजेक्ट में से 5 बिल्डरों ने 172 करोड़ रुपये जमा किए हैं, और उन्हें अगले वर्ष तक 375.37 करोड़ रुपये जमा करने होंगे। समिति की सिफारिशों का पालन न करने वाले बिल्डरों पर कार्रवाई की जाएगी, ताकि समय पर प्रोजेक्ट पूरे हों और खरीदारों को उनके अधिकार मिल सकें। इससे क्षेत्र में रियल एस्टेट सेक्टर में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।
रजिस्ट्री की प्रक्रिया में देरी …
Noida News: नोएडा, ग्रेटर नोएडा, और यमुना प्राधिकरण क्षेत्रों में रजिस्ट्री की प्रक्रिया में गंभीर देरी हो रही है, जिससे खरीदारों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ग्रेटर नोएडा में 48,776 रजिस्ट्री होनी थीं, लेकिन अब तक बहुत कम खरीदारों की ही रजिस्ट्री पूरी हो पाई है। इसी तरह, नोएडा में 7,763 और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में 6,879 रजिस्ट्री होनी थीं, लेकिन केवल 3,790 खरीदारों की ही रजिस्ट्री हो सकी है। बिल्डरों द्वारा बकाया राशि जमा न करने के कारण रजिस्ट्री की प्रक्रिया में देरी हो रही है। तीनों प्राधिकरण क्षेत्रों में अब तक 93 बिल्डरों ने कुल 905 करोड़ रुपये जमा किए हैं, जबकि अगले साल तक उन्हें 2,244 करोड़ रुपये और जमा करने होंगे। यह स्थिति खरीदारों के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि उनके फ्लैट्स की रजिस्ट्री में अनिश्चितता बनी हुई है। सरकार और प्राधिकरण इस दिशा में कदम उठाने पर विचार कर रहे हैं ताकि रजिस्ट्री प्रक्रिया को तेज किया जा सके और खरीदारों को उनका हक समय पर मिल सके।
छोटे व्यापारियों के व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना…
नोएडा में औद्योगिक भूखंडों की नीलामी प्रक्रिया शुरू होने से MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) और छोटे उद्यमियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। 8,000 वर्ग मीटर से छोटे भूखंडों की नीलामी में बोली की कीमतें काफी अधिक हो रही हैं, जिसके कारण छोटे उद्यमी इन भूखंडों को खरीदने में असमर्थ हो सकते हैं। इस स्थिति से छोटे व्यापारियों के व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है, क्योंकि वे इस महंगी बोली प्रक्रिया में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे।
दूसरी ओर, यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में औद्योगीकरण तेजी से हो रहा है और कई बड़ी कंपनियों ने वहां निवेश के लिए जमीन का आवंटन किया है। बड़े उद्योगों के निवेश के चलते औद्योगिक विकास हो रहा है, लेकिन छोटे उद्यमियों के लिए यह चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। इस स्थिति को देखते हुए MSME सेक्टर को बढ़ावा देने और छोटे उद्यमियों के लिए भूखंडों की सुलभता सुनिश्चित करने के लिए सरकार और प्राधिकरणों द्वारा विशेष नीतियां बनाने की आवश्यकता हो सकती है, ताकि औद्योगिक विकास संतुलित रहे और छोटे व्यवसायों को भी लाभ मिल सके।
इन सिफारिशों के लागू होने से होमबायर्स को राहत मिलने की उम्मीद है, और यह भी संभावना है कि रियल एस्टेट सेक्टर में विश्वास बहाल होगा।
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