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Bombay high court: बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, स्कूल में बच्चे को डांटना-पीटना अपराध नहीं

Written By: गली न्यूज

Published On: Saturday February 4, 2023

Bombay high court: बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, स्कूल में बच्चे को डांटना-पीटना अपराध नहीं

Bombay high court: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) के गोवा बेंच ने फैसला सुनाया है कि स्कूल में अनुशासन (discipline in school) बनाए रखने के लिए किसी बच्चे को डांटना अपराध नहीं होगा. कोर्ट ने एक प्राथमिक स्कूल के टीचर की सजा के आदेश को पलटते हुए यह फैसला सुनाया है. इस टीचर पर अपने स्कूल के दो बच्चों की डंडे से पिटाई करने का आरोप था, जिसके कारण उसको एक दिन के लिए जेल और एक लाख रुपये जुर्माना देने की सजा सुनाई गई थी. यह घटना 2014 की है. जहां टीचर पर दो बहनों को पीटने का आरोप है.

अनुशासन बनाए रखने के लिए टीचरों को होना पड़ता है सख्त

मामले की सुनवाई करते हुए भरत देशपांडे की उच्च न्यायालय (High Court of Bharat Deshpande)
की एकल न्यायाधीश पीठ ने फैसला सुनाया. उन्होंने कहा कि प्राथमिक विद्यालय में यह घटना काफी सामान्य है. स्टूडेंट्स को अनुशासित करने और अच्छी आदतों को विकसित करने के लिए टीचरों को कई बार थोड़ा सख्त होना पड़ता है, यह कोई अपराध नहीं है. स्टूडेंट्स को स्कूल इसलिए भेजा जाता है, ताकि वे पढ़ाई के साथ ही जीवन के अन्य पहलुओं के बारे में भी बातें सीखे और समझे जिनमें से एक अनुशासन भी है. स्कूल का उद्देश्य केवल अकादमिक विषयों को पढ़ाना नहीं है, बल्कि स्टूडेंट्स को जीवन के सभी पहलुओं के लिए तैयार करना है, ताकि भविष्य में वह अच्छा व्यक्ति बन सकें.

2014 में दो बहनों को पीटने का आरोप

यह घटना 2014 की है, जिसमें टीचर पर आरोप लगाया गया था कि उसने दो बहनों को पीटा है, जिसमें से एक पांच और दूसरी आठ साल की थी. छोटी बहन ने अपनी बोतल का पानी खत्म करने के बाद क्लास की दूसरी लड़की के बोतल से पानी पी लिया था. जिसके बाद उसकी बहन दूसरी क्लास से उसे देखने के लिए आई थी. इसके लिए कथित तौर पर टीचर ने दोनों बहनों को स्केल से पीटा था.

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कोर्ट ने कहा कि किसी और के बोतल से पानी पीना स्कूल के अनुशासन के खिलाफ है, ऐसा करने से दूसरे स्टूडेंट्स के अभिभावक स्कूल में शिकायत कर सकते थे. इसके कारण ही टीचर को यह कदम उठाना पड़ा था. अगर स्टूडेंट्स निर्देशों को समझने में सक्षम नहीं होते हैं और बार-बार ऐसी गलतियां कर रहे हैं तो उसे समझाने के लिए टीचर सख्त होने पर बाध्य होते हैं. साथ ही मारते समय छड़ी या स्केल का उपयोग किया गया था या नहीं इसकी कोई पुष्टि नहीं हो पाई है. जहां तक ​​अभियुक्तों द्वारा शासक या छड़ी के उपयोग का संबंध है, यह पर्याप्त रूप से स्थापित नहीं किया गया है. इसलिए इस बात का पता करना बहुत मुश्किल है कि आरोपी ने उस दिन बच्चों को कैसे पीटा था.

टीचरों का सम्मान करना बेहद जरूरी

कोर्ट ने कहा कि टीचरों को समाज में सबसे अधिक सम्मान दिया जाता है, वे हमारी शिक्षा प्रणाली की रीढ़ हैं. अगर टीचर के मन में ऐसे तुच्छ मामलों के लिए और विशेष रूप से बच्चों को सही अनुशासन सिखाते समय आरोपों का डर रहेगा तो स्कूलों को संचालित करना और उचित शिक्षा के साथ अनुशासन बनाए रखना बहुत मुश्किल होगा. एक सभ्य समाज को एक सभ्य युवा पीढ़ी की जरूरत है, जो एक-दूसरे का सम्मान करे और उसे देश की भावी पीढ़ी के रूप में माना जाए.

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