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2022 में गर्मी के सारे रिकॉर्ड टूटे, मौसम बदलने से इतने लोगों को अभी भी खतरा…

Written By: गली न्यूज

Published On: Friday June 3, 2022

2022 में गर्मी के सारे रिकॉर्ड टूटे, मौसम बदलने से इतने लोगों को अभी भी खतरा…

Heatwave Record 2022: इस साल पड़ रही गर्मी से लोग परेशान हैं. इस साल मार्च 122 सालों का सबसे गर्म माह रहा हैं. वहीं देश ने 11 मार्च से 18 मई के बीच 280 दिन हीटवेव झेली, यह पिछले 10 वर्षों में सबसे ज्यादा है. 2012 में देश के अनुभव से 2022 का यह आंकड़ा लगभग दोगुना है. इसी तरह 2021 में चरम मौसम की घटनाओं से महाराष्ट्र, ओडिशा और मध्य प्रदेश में सबसे अधिक मौतें हुईं. सबसे अधिक संख्या में जिले मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में प्रभावित हुए.

लास्ट ईयर मौसमी घटनाओं के कारण मध्य प्रदेश में 191, ओडिशा में 223 और महाराष्ट्र में 350 लोगों की जान चली गई. इसी तरह मध्य प्रदेश के 40, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के 30-30 जिलों में इन घटनाओं का खासा प्रभाव देखा गया. 2021 अभी तक दर्ज किए गए सात सबसे गर्म वर्षों में से एक था. जलवायु परिवर्तन आपदाओं का सामना करने में चीन, फिलीपींस और बांग्लादेश के बाद भारत चौथा सबसे ज्यादा प्रभावित देश है.

यह जानकारी सामने आई है सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) (Center for Science and Environment) की स्टेट आफ एन्वायरमेंट रिपोर्ट 2022 (State of Environment Report 2022) इन फिगर्स रिपोर्ट से. विश्व पर्यावरण दिवस (पांच जून) के संदर्भ में यह रिपोर्ट सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने वर्चुअली जारी की. इस रिपोर्ट में विभिन्न क्षेत्रों की स्थिति आंकड़ों की दृष्टि से बयां की गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2012-13 और 2018-19 के बीच भारत में खेती की लागत में लगभग 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि एक कृषि परिवार में खेती से होने वाली आय का हिस्सा 2012 में 48 प्रतिशत से कम होकर 2018-19 में -13 से 37 प्रतिशत रह गया है. वहीं देश में 50 प्रतिशत कृषि परिवार कर्ज के बोझ तले दबे हैं. औसतन हर घर पर 74,000 रुपये से अधिक का कर्ज है और देश में प्रतिदिन लगभग 29 किसान और खेतिहर मजदूर आत्महत्या करते हैं.

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रिपोर्ट बताती है कि 2019-20 में भारत ने 35 लाख टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न किया. इसमें से केवल 12 प्रतिशत का ही पुनर्चक्रण किया गया था और 20 प्रतिशत जला दिया गया था. शेष 68 प्रतिशत का कोई हिसाब नहीं है, जिसका अर्थ है कि यह जमीन और पानी या डंपसाइट में है. 2019-20 और 2020-21 के बीच खतरनाक waste उत्पादन में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि 2018-19 व 2019-20 के बीच हमारे ई-कचरे के उत्पादन में 32 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई.

रिपोर्ट बताती है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों को पूरा करने के लिए वायु प्रदूषण को कम करने से ग्लोबल जीवन प्रत्याशा में 2.2 वर्ष जुड़ जाएंगे. रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत में जीवन प्रत्याशा 5.9 वर्ष बढ़ जाएगी अगर देश डब्ल्यूएचओ के पीएम 2.5 के स्तर को पूरा करता है. भोजन और खाद्य प्रणालियों पर 1.7 मिलियन से अधिक indian unhealthy diet के कारण होने वाली बीमारियों के कारण मर जाते हैं. एक भारतीय के आहार में औसतन फल, सब्जियां, फलियां, मेवा और साबुत अनाज की कमी होती है.

सुनीता नारायण, (महानिदेशक, सीएसई) का कहना है कि यह रिपोर्ट पर्यावरण से जुड़े हर क्षेत्र में भारत की स्थिति बयां करती है. वह भी उन्हीं आंकड़ों की जुबानी जो सरकारी विभागों ने खुद से साझा किए हैं.

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