April 25, 2024, 12:52 pm

Delhi News: जंक फूड बना रहा है बच्चों को कमज़ोर, रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा

Written By: गली न्यूज

Published On: Friday December 15, 2023

Delhi News: जंक फूड बना रहा है बच्चों को कमज़ोर, रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा

Delhi News: हाल ही में शिक्षा के क्षेत्र से एक बड़ी खबर सामने आई है। बताया जा रहा है की सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 69 फीसदी बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर हैं। ये आंकड़ा दिल्ली के 20 स्कूलों में पढ़ने वाले 22 हजार स्टूडेंट की जांच में सामने आया है। जांच की रिपोर्ट के मुताबिक 15 हजार बच्चे कमजोर मिले हैं , इसके पीछे की बड़ी जंक फूड की बताया जा रहा है। इसके अलावासरकार अब और 50 स्कूलों मे जांच के लिए योजना बना रही है। विशेषज्ञों का कहना है की पौष्टिक आहार और व्यायाम से बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है। माता-पिता को चाहिए कि वो अपने बच्चों के भोजन में अधिक से अधिक प्रोटीन और आयरन शामिल करें।

क्या है पूरा मामला

जानकारी के मुताबिक दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे 69 फीसदी बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर हैं। इनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) मानक से काफी कम है। खाने में जंक फूड का अधिक सेवन करने और व्यायाम न करने के कारण इन बच्चों की लंबाई और समग्र विकास प्रभावित हुआ है। इसका खुलासा दिल्ली सरकार के पायलेट परियोजना के तहत 20 सरकारी स्कूलों में कराए गए सर्वे में हुआ। परियोजना के तहत दो साल के लिए स्वास्थ्य योजना लागू की। इस योजना के तहत 22 हजार बच्चों की जांच की गई। इसमें पाया गया कि करीब 69 फीसदी बच्चे कमजोर है। जांच में करीब 15 हजार बच्चों का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के रेड जोन में मिला। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे जंक फूड को ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

इसके अलावा वह बाहर खेलने भी नहीं जाते हैं। इस वजह से उनका व्यायाम भी नहीं हो पाता। इस कारण बच्चों की लंबाई और उनका समग्र विकास प्रभावित हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि माता-पिता को चाहिए कि वो अपने बच्चों के भोजन में अधिक से अधिक प्रोटीन और आयरन शामिल करें। अगर किसी बच्चे में गंभीर लक्षण दिख रहे हैं तो उनका विशेषज्ञ डॉक्टर से इलाज कराने की जरूरत है। सर्वे के आंकड़ों को देखकर पता चलता है कि 15 फीसदी छात्रों की नजर कमजोर हो गई थी, जिसके लिए विशेषज्ञों ने स्क्रीन समय में वृद्धि को जिम्मेदार बताया। रिपोर्ट आने के बाद 3,674 छात्रों की फिर से जांच की गई और 1,274 का इलाज किया गया। इन्हें एक एनजीओ की मदद से चश्मा प्रदान किया गया। इसके अलावा ग्रुप मेंटल हेल्थ सेशन में 20,562 छात्र शामिल हुए। इस सेशन से पता चला कि कई छात्र महामारी के बाद तनाव, शरारती, कम आत्मसम्मान, हार्माेनल परिवर्तन और पहचान संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे।

योजना का विस्तार किया जायेगा

जनवरी 2022 में स्वास्थ्य विभाग ने शिक्षा विभाग के साथ मिलकर इस परियोजना को शुरू किया। स्कूल हेल्थ क्लीनिक (एसएचसी) नामक इस योजना में प्रत्येक स्कूल में पोर्टा केबिन में एक क्लीनिक स्थापित किया गया था, जहां एक नर्स और एक मनोवैज्ञानिक को तैनात किया गया। साथ ही, पांच स्कूलों पर एक डॉक्टर को तैनात किया गया था। अभी तक यह योजना 20 स्कूलों में थी इसे बढ़ाकर पहले 50 और फिर सभी सरकारी स्कूलों में लागू किया जाएगा।

बढ़ रहा है मोटापा

दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. अरुण गुप्ता का कहना है कि पिछले दो दशक के दौरान मोटापे की समस्या में तेजी से बढ़ी है। इसके पीछे शारीरिक गतिविधि में कमी, बाहर का बना अधिक भोजन करना और जंक फूड की आसान उपलब्धता हैं। इस कारण बच्चों में सांस संबंधी, जोड़ों की समस्याओं और मनोवैज्ञानिक समस्या बढ़ गई है।

स्टूडेंट में मानसिक परेशानी बढ़ी

आपको बता दें की मोती बाग स्थित सर्वाेदय कन्या विद्यालय की मनोवैज्ञानिक आशिता शर्मा का कहना है कि जांच में पता चला कि बच्चों में चिंता, घरेलू कलह और पढ़ाई को लेकर परेशानी बड़े कारण हैं। कई छात्रों के माता-पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और उन्हें महामारी के दौरान अपने पैतृक गांव वापस जाना लौटना पड़ा था। ऐसे में बच्चों पर भी प्रभाव पड़ता है। कक्षा 5, 6 और 7 के छात्रों को शैक्षणिक समस्याओं का सामना करना पड़ा और जब कक्षाएं शुरू हुईं तो उन्हें इन समस्याओं से निपटने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी।

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MMHU भेजकर स्टूडेंट की जांच कराई गई

मानसिक समस्या का पता करने के लिए 200 छात्रों को इबहास के मोबाइल मेंटल हेल्थ यूनिट (एमएमएचयू) में भेजा गया। उन्होंने बताया कि कुछ दिनों बाद देखा गया कि इन प्रयासों का छात्रों में कई गुना प्रभाव पड़ा। छात्रों ने अधिक संवेदनशीलता के साथ एक-दूसरे के साथ बातचीत की और उनकी शरारतें भी काफी हद तक कम हो गईं। साथ ही शिक्षकों ने भी छात्रों के सामने आने वाले मेंटल हेल्थ संबंधी समस्याओं को समझने का प्रयास किया।

 

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